इस वर्ष स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय दोनों एक ही तिथि को जन्माष्टमी मनायेंगे, चन्द्र उदय रात्रि 10:49 बजे होगा
शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र ,गाजियाबाद पंडित शिवकुमार शर्मा के अनुसार ईश्वर से श्री कृष्ण जन्माष्टमी की व्रत 16 अगस्त को केतु योग, बुधादित्य योग में मनाया जाएगा।इस वर्ष 15 अगस्त को रात्रि 11:50 से अष्टमी तिथि आरंभ हो जाएगी जो 16 अगस्त को 9:34 तक रहेगी। 15 और 16 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र का मध्य रात्रि के समय अभाव रहेगा। इसलिए स्मार्त संप्रदाय अर्थात गृहस्थी लोग और वैष्णव संप्रदाय अर्थात साधु सन्यासी दोनों के लिए ही 16 अगस्त को जन्माष्टमी मानना श्रेष्ठ है ।क्योंकि मथुरा में अधिकांश मंदिर में वैष्णव जनों का प्रभाव है ।इसीलिए ब्रज क्षेत्र में व संपूर्ण भारत में 16 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी। निर्णय सिंधु केअनुसार *वैष्णवास्तु अर्धरात्रिव्यापिनीमपि रोहिणीयुतामपि सप्तमीविद्धां परित्यज्य नवमीयुतैव ग्राह्या-* । वैष्णव जन तो रोहिणी नक्षत्र युक्त सप्तमी विद्धा अष्टमी को भी भले ही वह अर्धरात्रिव्यापिनी ही क्यों न हो उसे भी त्यागकर नवमी विद्धा अष्टमी को भी व्रत के लिए ग्रहण करते हैं।गृहस्थी लोग श्री कृष्ण जन्माष्टमी श्री कृष्ण जन्म के समय तिथि के अनुसार ही होती है। उसमें ही जन्माष्टमी मनाते हैं। क्योंकि अष्टमी 16 अगस्त को उदयकालीन रहेगी। इसलिए दोनों संप्रदाय के लोग उसी दिन जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे। 16 अगस्त को चंद्रमा का उदय रात्रि 11:49 पर होगा।

पंडित शिवकुमार शर्मा,ज्योतिषाचार्य वास्तु कंसलटेंट गाजियाबाद
