Dainik Athah

भाजपा राष्टÑीय- यूपी अध्यक्ष चयन में जितनी देरी, उतनी देर होगी नये प्रचारक मिलने में

  • भाजपा संगठन चुनावों को लेकर नहीं सुलझ पा रही पेचीदगी
  • राष्टÑीय स्वयं सेवक संघ की तीन दिवसीय बैठक के बाद भी नहीं सुलझ सका मुद्दा
  • भाजपा अनेक राज्यों में संगठन मंत्रियों की कमी से जूझ रही
  • संगठन मंत्रियों की कमी का का असर सीधे सीधे संगठन कार्यों पर हो रहा है

अशोक ओझा
नयी दिल्ली।
भारतीय जनता पार्टी के राष्टÑीय और उत्तर प्रदेश समेत अनेक राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों को लेकर गुत्थी सुलझने के स्थान पर लगातार उलझती जा रही है। यहीं कारण है कि भाजपा को राष्टÑीय स्वयं सेवक संघ से नये प्रचारक मिलने में भी देरी हो रही है। इसका असर सीधे सीधे भाजपा संगठन के कार्यों पर हो रहा है।
दिल्ली में राष्टÑीय स्वयं सेवक संघ की तीन दिवसीय वरिष्ठ प्रचारक बैठक भी दो दिन पहले समाप्त हो चुकी है। माना जा रहा था कि संघ की इस बैठक के दौरान ही सभी प्रदेश अध्यक्षों के साथ ही राष्टÑीय अध्यक्ष का नाम भी तय कर लिया जायेगा और साथ ही यह पेचिदा गुत्थी सुलझ जायेगी। इस बैठक में संघ के प्रांत प्रचारक से लेकर राष्टÑीय स्तर के सभी प्रचारक मौजूद रहे थे। बावजूद इसके भाजपा संघ के तालमेल से राष्टÑीय अध्यक्ष के साथ ही उत्तर प्रदेश समेत करीब आधा दर्जन प्रदेश अध्यक्षों के नाम तय नहीं कर सकी।
सूत्र बताते हैं कि संघ और भाजपा में मुख्य रूप से राष्टÑीय अध्यक्ष के साथ ही इन प्रदेश अध्यक्षों के नामों पर गतिरोध चल रहा है। संघ पूरी तरह ऐसे कार्यकर्ताओं को अध्यक्ष बनाने के पक्ष में है जिनकी आस्था पूरी तरह से संघ में हो। वहीं, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व यह चाहता है कि नया अध्यक्ष जो भी हो वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के प्रति ही वफादार हो। सूत्रों की मानें तो संघ से सुझाये गये कई नामों को दरकिनार कर भाजपा ने नये नाम भेजे थे जो संघ को स्वीकार नहीं है। ऐसे में पूरा मामला उलझता जा रहा है।
सूत्र बताते हैं कि जब तक राष्टÑीय एवं यूपी समेत अन्य राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों का मुद्दा नहीं सुलझ जाता तब तक भाजपा को नये संगठन मंत्री मिलने में भी उतनी ही देरी होगी। इसका असर सीधे भाजपा संगठन पर हो रहा है। यदि उत्तर प्रदेश को ही लें तो अधिकांश क्षेत्रों में भाजपा के पास संगठन मंत्री नहीं है। जबकि पूर्व में क्षेत्रीय संगठन मंत्री के साथ ही उनके सहयोगी की तैनाती भी होती थी। यह स्थिति इस कारण हुई कि कुछ संगठन मंत्रियों ने विवाह कर लिया, वहीं कुछ पार्टी में पदाधिकारी की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। भाजपा में यह परंपरा है कि संगठन मंत्री अविवाहित प्रचारक ही होंगे। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि संगठन मंत्रियों की कमी का असर निश्चित रूप से संगठन पर पड़ रहा है। न तो क्षेत्रों और न ही जिला अध्यक्षों पर कोई नियंत्रण रह गया है।
जानकारों की मानें तो प्रचारक बैठक में भाजपा के राष्टÑीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी मौजूद थे। अब उन्हें पार्टी के लिए संदेश देकर भेजा गया है। अध्यक्षों की नियुक्ति में देरी के कारण भाजपा कार्यकर्ताओं की बेचैनी भी लगातार बढ़ती जा रही है।


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