- 93 परियोजनाओं के माध्यम से लगभग 15 हजार करोड़ रुपये की लागत से मेरठ के कायाकल्प की कार्ययोजना प्रस्तुत
- मेरठ को स्मार्ट, स्वच्छ और सस्टेनेबल शहर बनाने के लिए चरणबद्ध विकास रणनीति तैयार
- मेरठ में होगी सार्वजनिक स्थलों का सौंदर्यीकरण एवं वॉक-फ्रेंडली व्यवस्था, निर्बाध आवागमन, पर्यावरणीय एवं सामाजिक जनसुविधाएं, औद्योगिक और आवासीय अधोसंरचना का विकास, ऐतिहासिक विरासत का संरक्षण तथा पुनर्विकास
- मुख्यमंत्री ने कहा— मेरठ को खेल, शिक्षा, संस्कृति और व्यापार का प्रेरणादायी मॉडल बनाया जाएगा
- शहर की कंजेशन समस्या हल करने के लिए जिला प्रशासन, प्राधिकरण और नगर निगम को समन्वित कार्य के निर्देश
- डजिटल होर्डिंग, सीसीटीवी निगरानी और इलेक्ट्रिक वाहनों को मिले प्रोत्साहन: मुख्यमंत्री
- सड़क कनेक्टिविटी के लिए रिंग रोड, स्मार्ट रोड और इंटरसिटी संपर्क को दी जा रही प्राथमिकता
- विकास के साथ स्वच्छता पर भी जोर, सीएम ने कहा— डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण और नदियों के पुनर्जीवन की दिशा में हों ठोस प्रयास
- सीवर के लिए एसटीपी और ड्रेनेज के लिए प्राकृतिक प्रवाह व्यवस्था को अपनाने के निर्देश
- सीएम ग्रिड मेरठ’ योजना के अंतर्गत नगर की प्रमुख सड़कें स्मार्ट रोड में होंगी परिवर्तित
- बोले मुख्यमंत्री, मेरठ में पारंपरिक आभूषण उद्योग को संगठित कर ज्वेलरी हब बनाने की आवश्यकता
- मुख्यमंत्री ने कहा— मेरठ बने अन्य शहरों के लिए आदर्श; योजनाओं में जनभागीदारी और समयबद्धता हो सुनिश्चित
- मुख्यमंत्री ने हैकाथॉन 2.0 से प्राप्त सुझावों को सराहा, योजनाओं में जनभागीदारी सुनिश्चित करने पर बल
- इंटीग्रेटेड डिविजनल आॅफिस की परिकल्पना में मुख्यमंत्री ने स्थानीय विरासत को फसाड में दिखाने का सुझाव दिया
- संपूर्ण नगर को अतिक्रमण मुक्त करके उसे आकर्षक स्वरूप में विकसित किया जाए, सुनिश्चित कराएं कि कहीं भी अनधिकृत निर्माण न हो: मुख्यमंत्री
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। मेरठ को स्मार्ट, स्वच्छ और सस्टेनेबल शहर के रूप में विकसित करने की दिशा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को ‘इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट प्लान’ की गहन समीक्षा की। बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि इस योजना के अंतर्गत कुल 93 परियोजनाएं प्रस्तावित हैं, जिनकी अनुमानित लागत लगभग 15 हजार करोड़ रुपये है। इनमें से 06 परियोजनाओं पर कार्य प्रारंभ हो चुका है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि मेरठ की ऐतिहासिक, औद्योगिक और शैक्षणिक विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए सभी योजनाएं पारदर्शिता, समयबद्धता और गुणवत्ता के मानकों के अनुरूप क्रियान्वित की जाएं। उन्होंने कहा कि मेरठ स्वतंत्रता संग्राम से लेकर औद्योगिक विकास तक की यात्रा में एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। खेल उद्योग, शैक्षणिक संस्थान और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से निकटता के कारण यह शहर विशेष पहचान रखता है। इसे खेल, शिक्षा, संस्कृति और व्यापार की प्रेरणादायी नगरी के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहर की भीड़-भाड़ और यातायात कंजेशन को दूर करने के लिए स्थानीय जिला प्रशासन, विकास प्राधिकरण और नगर निगम को समन्वय के साथ कार्य करना चाहिए।
उन्होंने स्मार्ट मेरठ नगर में केवल डिजिटल होर्डिंग लगाए जाने, पूरे नगर को सीसीटीवी कवरेज में लाने तथा व्यापारिक प्रतिष्ठानों और आम नागरिकों के सहयोग से निगरानी तंत्र को सशक्त बनाने के निर्देश भी दिए। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि कैमरों की फुटेज आवश्यकता पड़ने पर पुलिस को सुलभ होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि यह विकास योजना छह प्रमुख विषयों पर आधारित है, जिनमें सार्वजनिक स्थलों का सौंदर्यीकरण एवं वॉक-फ्रेंडली व्यवस्था, निर्बाध आवागमन, पर्यावरणीय एवं सामाजिक जनसुविधाएं, औद्योगिक और आवासीय अधोसंरचना का विकास, ऐतिहासिक विरासत का संरक्षण तथा पुनर्विकास शामिल हैं। इन परियोजनाओं को अल्पकालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक चरणों में विभाजित किया गया है। 41 परियोजनाएं एक वर्ष के भीतर पूरी की जानी हैं।
जनसंख्या आंकड़ों के अनुसार, 2021 में मेरठ की आबादी लगभग 23 लाख थी, जो 2041 तक बढ़कर 33.52 लाख होने का अनुमान है। प्रति व्यक्ति आय में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना को देखते हुए आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ करना अनिवार्य है।
बैठक में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, रैपिड रेल, गंगा एक्सप्रेसवे, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर, वेस्टर्न रिंग रोड, इंटरनल रिंग रोड, स्मार्ट सड़कें, प्रमुख चौराहों का पुनर्विकास और सांस्कृतिक स्थलों के विकास जैसी योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी गई। संजय वन, सूरजकुंड, थीम पार्कों, तालाबों और ऐतिहासिक स्थलों के सौंदर्यीकरण की परियोजनाएं पर्यावरण संरक्षण के साथ जीवन गुणवत्ता को भी बेहतर बनाएंगी।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि स्थानीय पार्कों का रखरखाव बेहतर हो और संजय वन तथा विक्टोरिया पार्क जैसे स्थलों को जीवंत बनाया जाए। रोड कनेक्टिविटी के क्षेत्र में मुख्यमंत्री ने 52 किलोमीटर लंबी वेस्टर्न रिंग रोड तथा वेदव्यासपुरी से लोहियानगर तक के इनर रिंग रोड को सुगम कनेक्टिविटी के लिए अत्यंत उपयोगी बताया। अबू नाला प्रथम की पटरी पर प्रस्तावित आंतरिक रिंग रोड, क्षेत्रीय संपर्क मार्ग, मेरठझ्रपरिक्षितगढ़ मार्ग, दौरालाझ्रमसूरी, रोहटा और गढ़ रोड जैसे मार्गों के चौड़ीकरण की योजनाओं पर भी विस्तार से चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरठ में परंपरागत रूप से आभूषण निर्माण का कार्य होता रहा है। इस पारंपरिक कौशल को संगठित रूप देते हुए मेरठ को ज्वेलरी हब के रूप में विकसित किया जाए। इसके अंतर्गत कारीगरों के लिए साझा कार्यस्थल, आधुनिक उपकरण, विपणन सहायता और सुरक्षा संबंधी ढांचा उपलब्ध कराया जाए।
बैठक के अंत में मुख्यमंत्री ने हैकाथॉन 2.0 के माध्यम से आमजन व जनप्रतिनिधियों से प्राप्त सुझावों को शामिल किए जाने की सराहना की और निर्देश दिए कि योजनाओं में जनभागीदारी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि मेरठ को प्रदेश के अन्य नगरों के लिए एक प्रेरक उदाहरण बनाकर प्रस्तुत किया जाना चाहिए।