Dainik Athah

पुलिस कमिश्नरेट में दिखने लगा बदलाव, अब शराबियों की नहीं वादी को एफआईआर देते हुए दिख रही फोटो

  • गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर के बदलने के साथ ही
  • पुलिस कमिश्नरेट में दिखने लगा बदलाव, अब शराबियों की नहीं वादी को एफआईआर देते हुए दिख रही फोटो
  • वादी को एफआईआर के लिए थानों के नहीं काटने पड़ेंगे चक्कर
  • आम जनता और जन प्रतिनिधियों के साथ पुलिस की अब नहीं रहेगी दूरी, जनता के साथ भी रहेगा मित्रवत व्यवहार

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद।
गाजियाबाद कमिश्नरेट पुलिस के पहले पुलिस कमिश्नर के बदलने के साथ ही कमिश्नरेट पुलिस में बदलाव की बयार बहती नजर आने लगी है। अब दिन निकलते ही पुलिस को शराबियों की फोटो नहीं डालनी पड़ती, बल्कि वादी को एफआईआर की प्रति घर जाकर सौंपते हुए फोटो नजर आ रही है जो एक सुखद अनुभव गाजियाबाद के लोगों के लिए है। बावजूद इसके अब भी ऐसा बहुत कुछ है जो बदलना है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप गाजियाबाद पुलिस अब खुद को बदलने में जुट गई है। कमिश्नरेट बनने के बाद आम जनता तो दूर जन प्रतिनिधि तक पुलिस से दूरी बनाकर रखते थे। बहुत जरूरी होने पर ही जन प्रतिनिधि पुलिस अफसरों को फोन करते थे तो उन्हें टका सा जवाब भी पुलिस अफसरों का सुनना पड़ता था। शायद यहीं कारण है कि जन प्रतिनिधियों की पुलिस से दूरी बनी और उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कमिश्नर के तबादले की एक बार नहीं अनेक बार गुहार लगानी पड़ी। जब तबादला हुआ और नये पुलिस कमिश्नर जे रविंद्र गौड़ ने कार्यभार संभाला तो उसके दो दिन बाद ही बदलाव की बयार नजर आने लगी।

अब एफआईआर के लिए थानों के चक्कर नहीं काटेंगे, पुलिस खुद पहुंचने लगी वादी के घर

पहली बात यह है कि वादी थानों में एफआईआर दर्ज करवाने के लिए थानों के चक्कर काटते थे, लेकिन अब पुलिस खुद ही एफआईआर की प्रति लेकर वादी के घर पहुंचने लगी है। इसकी फोटो भी पुलिस ग्रुप के माध्यम से मीडिया तक पहुंच रही है। सीधा मकसद यह लगता है कि पुलिस जनता के द्वार। निश्चित ही यह पहल सराहनीय है।

पहले शराबियों की फोटो होती थी वायरल

इससे पहले यदि कोई फोटो दिन निकलते ही पुलिस के मीडिया ग्रुप में नजर आती थी तो वह शराब पीते हुए पकड़े लोगों की। फोटो भी हवालात के अंदर की खिंच कर इस प्रकार वायरल की जाती थी कि ये शराबी न होकर कोई बहुत बड़े अपराधी हो।

अपराधियों को दिलाई अपराध न करने की शपथ

इसके साथ ही गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट के सभी थानों में रविवार को पिछले एक दशक के सक्रिय अपराधियों को बुलाकर उन्हें अपराध न करने की शपथ दिलाई गई। इसका मकसद यह था कि जो अपराधी आते नहीं है उनकी जांच होगी और पुलिस की नजरों में वह आ जायेगा कि कहीं न कहीं अपराध अवश्य कर रहा होगा। पुलिस ने इन्हें यह भी आश्वस्त किया कि वे यदि अपराधों से दूर रहेंगे और पुलिस के बुलाने पर निर्भिक होकर थाने आयें, उनका उत्पीड़न भी नहीं होगा।
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अब सीपी पुलिस कमिश्नरेट दफ्तर में बैठक सुन रहे जनता की समस्या

पुलिस कमिश्नर जे रविंद्र गौड़ अब कलक्ट्रेट के बाहर स्थित पुलिस कमिश्नरेट दफ्तर में बैठकर लोगों की समस्या सुन रहे हैं, जबकि इससे पहले पुलिस कमिश्नर आम जनता से दूर पुलिस लाइन में बैठते थे जहां आम जनता न के बराबर जाती थी। इससे लोगों की समस्याओं का निराकरण भी जल्द होगा तथा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई। इसका सकारात्मक संदेश जनता में जा रहा है।

बड़े सवाल अब भी शेष, क्या महिला डीआईजी को मिलेगा पद के अनुरूप सम्मान

अब भी कुछ बड़े सवाल अब भी शेष है, इसमें पहला बड़ा सवाल यह कि डीआईजी स्तर की महिला आईपीएस अधिकारी जो एडिशनल सीपी के पद पर नियुक्त है क्या उन्हें उनके पद के अनुरूप सम्मान और काम मिल पायेगा। पिछले लंबे समय से कमिश्नरेट में तैनात यह महिला अधिकारी अब तक उपेक्षा की शिकार रही है।

क्या लंबे समय से चौकी प्रभारियों की जेब में रखी शिकायतें भी दर्ज होगी

सवाल यह है कि वर्तमान में जो शिकायतें आ रही है वे दर्ज होनी शुरू हो गई है, लेकिन लंबे समय से चौकी प्रभारियों एवं थाना प्रभारियों की जेब गर्म कर रही शिकायतें जो उनकी जेब में रखी है वे भी क्या दर्ज हो पायेगी अथवा वादी को सीपी साहब के पास ही दोबारा जाना होगा।

लंबे समय से एक ही स्थान पर जमे एसीपी- एसएचओ के क्या होंगे तबादले

इसके साथ ही लंबे समय से एक ही स्थान पर जमे एसीपी और एसएचओ के क्या तबादले हो पायेंगे, यह भी बड़ा सवाल है। लंबे समय से जमे इन अधिकारियों ने अपना तंत्र विकसित कर लिया है जिसके सहारे उनकी भी जेब मोटी हो रही है।


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