Dainik Athah

Rajnath Singh शस्त्र पूजा कर बोले- किसी को एक इंच जमीन भी नहीं लेने देगी भारतीय सेना

अथाह ब्यूरो, नई दिल्ली। दो दिवसीय दौरे पर पश्चिम बंगाल और सिक्किम पहुंचे रक्षा मंत्री Rajnath Singh। रविवार को दार्जिलिंग में सुकना युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इस दौरान सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा वैकल्पिक अलाइनमेंट गंगटोक-नाथुला रोड का उद्घाटन किया।

रक्षा मंत्री Rajnath Singh ने कहा कि भारत चाहता है कि चीन और भारत की सीमा पर शांति बनी रहे और दोनों देशो के बीच कोई तनाव इस्थिति नहीं होनी चाहिए। हालाकि मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि अगर कोई हमारे देश की जमीं पर कब्जा करने की सोचेगा तो हमारी सेना किसी को भी देश की एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं करने देगी।

उन्होंने कहा, मैं आप सबको यह भी बताना चाहता हूं कि बीआरओ द्वारा सिक्किम के अधिकांश सीमावर्ती सड़कों का डबल लेन में अपग्रेडेशन किया जा रहा है। इसमें से ईस्ट सिक्किम में 65 किलोमीटर सड़क निर्माण-कार्य प्रगति पर है, तथा 55 किलोमीटर सड़क निर्माण योजना के तहत है। 

राजनाथ सिंह ने कहा, नॉर्थ सिक्किम में भारतमाला परियोजना के अन्तर्गत ‘मंगन-चुगथांग-यूमेसेमडोंग’ और ‘चुगंथांग-लाचेन-जीमा-मुगुथांग-नाकुला’ तक 225 किलोमीटर डबल लेन सड़क का निर्माण कार्य नियोजित है। जिनकी अनुमानित लागत 5710 करोड़ रुपये है। 

रक्षा मंत्री ने विजयादशमी के खाश शस्त्र पूजन के अवसर पर भारतीय सेना के अधिकारी और जवान मौजूद थे। जिस स्थान पर उन्होंने शस्त्र पूजन किया वहां से वास्तविक नियंत्रण रेखा महज दो किलोमीटर से भी कम थी। भारत की सीमा के पास शस्त्र पूजा ऐसे समय पर की गई है जब पूर्वी लद्दाख में हमारा चीन के साथ गतिरोध जारी है। विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजा करने की परंपरा है।

इस बार रक्षा मंत्री पश्चिम बंगाल और सिक्किम के दो दिवसीय दौरे पर हैं। उनके साथ सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी हैं। वे यहां जवानो का जायजा लेंगे। शनिवार को, रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख को सिक्किम क्षेत्र में वास्तविक सीमा के साथ स्थिति के बारे में विस्तार से बताया गया था। 

शनिवार को दार्जिलिंग पहुंचे। इन्होने 33 कोर सेना मुख्यालय सुकना पहुंचे। यहां पहुंचकर उन्होंने जवानों को संबोधित किया। रक्षा मंत्री ने जवानों को संबोधित करते हुए कहा, भारत हमेशा अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ बेहतर संबंध चाहता है, हमने हमेशा उसी के लिए प्रयास किया है। लेकिन हमारे जवानों को समय-समय पर अपनी सीमाओं, अखंडता और सार्वभौमिकता की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान करना पड़ा है।

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