मन की बात एपिसोड में पीएम मोदी ने किया महाकुम्भ 2025 का जिक्र, सीएम योगी ने जताया पीएम का आभार
सीएम ने कहा- पीएम ने महाकुम्भ के सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व पर चर्चा कर सभी का किया मार्गदर्शन
प्रधानमंत्री जी का युवाओं के लिए संदेश उन्हें एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना से जुड़ने के लिए करेगा प्रेरित: सीएम
मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने एक बार फिर महाकुम्भ को बताया एकता का महाकुम्भ
अथाह संवाददाता
महाकुम्भनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को वर्ष के पहले मन की बात कार्यक्रम में देशवासियों को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने महाकुम्भ का भी प्रमुखता से जिक्र किया और एक बार फिर इसे एकता का महाकुम्भ बताया। महाकुम्भ पर पीएम मोदी की चर्चा पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका आभार जताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में भारत की एकात्मता के जीवंत प्रतीक, आध्यात्मिकता, समता और समरसता के महासमागम महाकुम्भ के सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व पर चर्चा कर हम सभी को मार्गदर्शन प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के यशस्वी नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का महोत्सव महाकुम्भ 2025 प्रयागराज हमारी सांस्कृतिक धरोहरों व परंपराओं से आज संपूर्ण विश्व का साक्षात्कार करा रहा है।
प्रधानमंत्री द्वारा महाकुम्भ में युवाओं की बढ़ती भागीदारी पर सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी का युवाओं के लिए गर्व के साथ अपनी सभ्यता, संस्कृति के अनुगमन का संदेश उन्हें एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना से जुड़ने के लिए प्रेरित करेगा।
विविधता में एकता का उत्सव
इससे पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में त्रिवेणी तट पर लगे महाकुम्भ पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि महाकु्म्भ का श्रीगणेश हो चुका है। चिरस्मरणीय जन सैलाब, अकल्पनीय दृश्य और समता, समरसता का असाधारण संगम दिखाई दे रहा है। इस बार कुम्भ में कई दिव्य योग बन रहे हैं। ये उत्सव विविधता में एकता का उत्सव मनाता है। संगम की रेती पर पूरे भारत के, पूरे विश्व के लोग जुटते हैं। हजारों वर्षों से चली आ रही इस परंपरा में कहीं कोई भेदभाव नहीं, जातिवाद नहीं। इसमें भारत के दक्षिण से लोग आते हैं, भारत के पूर्व और पश्चिम से लोग आते हैं। कुम्भ में गरीब, अमीर सब एक हो जाते हैं। सब लोग संगम में डुबकी लगाते हैं। एक साथ भंडारों में भोजन करते हैं, प्रसाद लेते हैं, तभी तो कुम्भ एकता का महाकुम्भ है। यह आयोजन हमें ये भी बताता है कि कैसे हमारी परंपराएं पूरे भारत को एक सूत्र में बांधती हैं। उत्तर से दक्षिण तक मान्यताओं को मानने के तरीके एक जैसे ही हैं। एक तरफ प्रयागराज, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में कुम्भ का आयोजन होता है, वैसे ही दक्षिण भूभाग में गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और कावेरी नदी के तटों पर पुष्करम होते हैं। ये दोनों ही पर्व हमारी पवित्र नदियों से उनकी मान्यताओं से जुड़े हुए हैं। इसी तरह अनेक ऐसे मंदिर हैं जिनकी परंपराएं कुम्भ से जुड़ी हुई हैं।
युवा पीढ़ी सभ्यता से जुड़ जाती है तो उसकी जड़ें और मजबूत हो जाती हैं
उन्होंने खुशी और संतोष जताया कि महाकुम्भ में युवाओं की बड़ी भागीदारी दिख रही है। उन्होंने कहा कि इस बार आप सबने देखा होगा कि कुम्भ में युवाओं की भागीदारी बहुत व्यापक रूप में नजर आती है। यह भी सच है कि जब युवा पीढ़ी अपनी सभ्यता के साथ, गर्व के साथ जुड़ जाती है तो उसकी जड़ें और मजबूत होती हैं। तब उसका स्वर्णिम भविष्य भी सुनिश्चित हो जाता है। इस बार कुम्भ के डिजिटल फुट प्रिंट भी इतने बड़े पैमाने पर दिख रहे हैं। कुम्भ की ये वैश्विक लोकप्रियता हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
सामाजिक मेलजोल का माध्यम हैं पर्व
पीएम मोदी ने पर्वों को सामाजिक मेलजोल का माध्यम बताते हुए कहा कि हाल ही पश्चिम बंगाल में गंगासागर में मेले का भी विहंगम आयोजन हुआ। संक्रांति के पावन अवसर पर इस मेले में पूरी दुनिया से आए लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है। कुम्भ, पुष्करम और गंगा सागर मेला ये पर्व हमारे सामाजिक मेल जोल को, सद्भाव को, एकता को बढ़ाने वाले पर्व हैं। ये पर्व भारत के लोगों को भारत की परंपराओं से जोड़ते हैं और जैसे हमारे शास्त्रों में संसार में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष पर बल दिया है, वैसे ही हमारे पर्वों और परंपराएं भी आध्यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक हर पक्ष को सशक्त करते हैं।