- हापुड़ जिले में मंडल अध्यक्षों को लेकर भी नहीं बन सकी थी सहमति
- संगठन के वर्तमान पदाधिकारी चाहते थे धौलाना से लेकर गढ़मुक्तेश्वर तक अपने मंडल अध्यक्ष
- विधायकों की राय को क्या किया गया था किनारे
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। भाजपा में संगठन पर्व 2024 चल रहा है, लेकिन पश्चिम के दो जिले संगठन चुनाव से बाहर हो चुके हैं। यहां पर न तो मंडल अध्यक्ष बन सके और न ही जिलाध्यक्ष चुनाव के लिए नामांकन हुए। इससे यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर इन दो जिलों में ही संगठन चुनाव क्यों नहीं हो सका। क्या संगठन और जन प्रतिनिधियों में विवाद इसका कारण रहा। हालांकि कोई भी खुल कर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
बता दें कि भाजपा ने मंडल अध्यक्ष चुनाव के लिए पूरे प्रदेश में नामांकन के साथ ही रायसुमारी की। इसके बाद पूरे प्रदेश में ही जिलाध्यक्ष चुनाव के लिए नामांकन भी भरे गये। प्रदेश के कुछ जिलों में नामांकन के दौरान विवाद भी हुआ, लेकिन हापुड़ और शामली जिलों में तो नामांकन भी नहीं हो सके। इसके चलते जिलाध्यक्ष एवं मंडल अध्यक्ष के दावेदारों में संगठन पदाधिकारियों के प्रति नराजगी देखी जा रही है।
भाजपा सूत्रों के अनुसार हापुड़ जिले में मंडल अध्यक्षों के चुनाव को लेकर ही विवाद उत्पन्न हो गया था। एक तरफ संगठन के वर्तमान कर्ताधर्ता अपने पक्ष के मंडल अध्यक्ष बनाना चाहते थे, जबकि दूसरी तरफ विधायकों एवं कार्यकर्ताओं की अपनी पसंद थी। इस दौरान विवाद होने के बाद जिला चुनाव अधिकारी ने प्रदेश नेतृत्व को रिपोर्ट सौंप दी कि वे जिले में चुनाव नहीं करवा सकते। सूत्र बताते हैं कि संगठन के कर्ताधर्ताओं के पक्ष के एक विधायक भी इस दौरान कर्ताधर्ताओं से खफा हो गये। इसका संदेश भी खराब गया।
भाजपा सूत्रों की मानें तो संगठन में मंडल अध्यक्ष बनने की चाह रखने वाले कार्यकर्ता मन मसोस कर रह गये। एक कार्यकर्ता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि अब तो सभी राष्टÑीय महासचिव विनोद तावड़े की तरफ देख रहे हैं कि वे प्रदेश चुनाव के पर्यवेक्षक होने के नाते क्या कदम उठाते हैं। वहीं जो कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष पद के दावेदार हैं वे यह सोच रहे हैं कि वर्तमान स्थिति से कैसे निकला जाये। वे भी संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों की तरफ देख रहे हैं। बताते हैंकि जिले में जिलाध्यक्ष पद के दावेदारों की संख्या एक दर्जन से अधिक है।
इस संबंध में बात करने पर हापुड़ भाजपा जिलाध्यक्ष कहते हैं कि हापुड़ जिला होल्ड हो गया, लेकिन क्यों? इस पर वे कहते हैं कि हो सकता है कि कोई विवाद मंडल अध्यक्षों को लेकर रहा हो और सहमति न बन पाई हो। वहीं, दूसरी तरफ शामली जिला भी संगठन चुनाव में होल्ड पर चला गया। वहां पर भी संगठन और जन प्रतिनिधियों में विवाद बताया जा रहा है।