14 जनवरी को प्रातः 8:56 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे सूर्य
समाप्त हो जाएगा मलमास, आरंभ होंगे शुभ कार्य
दिनांक 14 जनवरी 2025 दिन मंगलवार को सूर्य देव मकर राशि में आएंगे। मकर राशि में सूर्य प्रातःकाल 8:56 बजे आ जाएंगे। इसी के साथ एक माह से चला रहा खरमास अथवा मलमास समाप्त हो जाएगा। पुनः शुभ मुहूर्त , वैवाहिक कार्य,गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन ,नींव पूजन आदि शुभ कार्यों का आरंभ होंगे। मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं।संक्रांति पर्व देवताओं के दिन अर्थात उत्तरायण का पर्व है। 6 मास के लिए सूर्य उत्तरायण रहेंगे।6 माह के पश्चात कर्क राशि में जब सूर्य आएंगे तो फिर दक्षिणायन हो जाएंगे।उत्तरायण का अर्थ होता है कि सूर्य का उत्तर की ओर गति करना। अपने प्रत्यक्ष देखा होगा कि मकर संक्रांति से सूर्य धीरे-धीरे उत्तर की ओर गति करते हैं दिन बडा होना शुरू हो जाता है और मौसम में उष्णता बढ़ती जाती है।उत्तरायण का महत्व महाभारत काल में भी मिलता है। सूर्य के उत्तरायण की अवधि अर्थात 6 महीने देवताओं का दिन होता है और दक्षिणायन देवता की रात्रि होती है। जब पितामह भीष्म शरशैया पर पड़े हुए बाणों की वेदना झेल रहे थे। उसे समय सूर्य दक्षिणायन थे । इसलिए उन्होंने प्राण नहीं त्यागे , क्योंकि उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान मिला हुआ था उन्होंने यह संकल्प किया था कि उत्तरायण होने पर ही प्राण त्याग करूंगा।*मकर संक्रांति का महत्व*14 जनवरी को मकर संक्रांति प्रातः 8:56 पर आरंभ होकर शाम तक इसका पर्व काल मनाया जाएगा।प्रातः काल सूर्य के मकर संक्रांति में प्रवेश के समय गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इस बार तो वैसे भी महाकुंभ में इस दिन शाही स्नान होगा। जनसाधारण के लिए घर पर ही स्नान के जल में गंगाजल मिला कर स्नान करना चाहिए।स्नान के पश्चात भगवान सूर्य देव के दर्शन करें। तांबे के जल से उन्हें जल दें। जल में गुड, रोली ,चावल आदि डालकर जल,प्रदान करें। गायत्री मंत्र का जाप करें।इस दिन गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय जाप, आदित्य स्तोत्र आदि का जाप कर अपने इष्ट की पूजा करें।मकर शांति के दिन गरीबों, विद्वानों योग्य योग्य पात्रों को भोजन और वस्त्र दान करने का बड़ा महत्व है। अन्न, जल,तिल,गुड,रेवड़ी ,गजक, मूंगफली ,बादाम, गर्म वस्त्र, कंबल आदि,भोजन सामग्री योग्य एवं सुपात्र व्यक्ति को दान करन चाहिए।मकर संक्रांति को खिचड़ी बनाने और खाने का महत्व है। यह समरसता का त्यौहार है। चावल, मूंग या उड़द की दाल आदि से युक्त खिचड़ी बनाएं । इष्ट देव को भोग लगाकर गरीबों में वितरण करें और स्वयं ग्रहण करें।इस वर्ष संवत 2081 में कर्क संक्रांति 16 जुलाई दिन मंगलवार की थी। जब दक्षिणायन आरंभ हुआ था। और अब 14 जनवरी को भी मकर संक्रांति मंगलवार की ही है जब उत्तरायण आरंभ हुआ है।इस संदर्भ में शास्त्र में कुछ पंक्तियां वर्णित हैं। *कर्क मकर दो बहन हैं बैठे एक ही बार*। *कै प्रजा का पति मरे, कै पड़े अचिन्त्योकार।*अर्थात जब दक्षिणायन और उत्तरायण की दोनों संक्रांतियों का दिन एक ही होता है तो आगे आने वाले समय में किसी देश का राजा ,राष्ट्राध्यक्ष, मंत्री आदि की मृत्यु संभव है, अथवा विश्व में देश में अकाल, दुर्भिक्ष और विद्रोह होता है।क्योंकि ये दोनों सक्रांतियां मंगलवार को पड़ रही है, जिसे क्रूरवार की संज्ञा दी गई है। परिणाम स्वरूप देश अथवा विश्व में हिंसा, अराजकता, भूकंप आदि की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने वाला माना जाता है।पंडित शिवकुमार शर्मा,ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट, गाजियाबाद