Dainik Athah

हमसे पूछिए ‘जनहितैषी’ आवासीय योजना की हकीकत

जीडीए ने शुरू की हरनंदीपुरम आवासीय योजना की कवायद

मधुबन बापूधाम आवासीय योजना के आवंटियों का छलका दर्द


अथाह संवाददाता
गाजियाबाद।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की ओर से सोमवार को हरनंदीपुरम आवासीय योजना को अमली जामा पहनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। विभिन्न समाचार पत्रों में मथुरापुर, नंगला फिरोजपुर मोहनपुर, चम्पतनगर, भनेड़ा खुर्द, शाहपुर निज मोरटा, शमशेर, भोवापुर और मोरटा के भूस्वामियों से स्वीकृति के आधार पर भूमि अधिग्रहण हेतु अपील प्रकाशित की गई है। उपाध्यक्ष अतुल वत्स के इस ड्रीम प्रोजेक्ट की प्रारंभिक लागत 5000 करोड़ रुपए से अधिक आंकी गई है। प्राधिकरण के खाली खजाने और दो दशक पूर्व अस्तित्व में आई मधुबन बापूधाम आवासीय योजना की बदहाली के चलते इस बात का संशय बरकरार है कि क्या नई आवासीय योजना परवान चढ़ पाएगी?


गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की ओर से जारी विज्ञापन में सचिव ने भूधारकों से अनुरोध किया है कि उक्त भूमि प्राधिकरण की ‘जनहितैषी’ योजना हेतु क्रय की जाएगी। निसंदेह भूमि क्रय करने वाले इस अनुरोध की भाषा बहुत संयत है। इस नवीन आवासीय योजना को ‘जनहितैषी’ बताया गया है, लेकिन इस नवीन योजना को लगभग 20 वर्ष पूर्ण विकसित की गई मधुबन बापूधाम आवासीय योजना के परिपेक्ष में देखें तो मधुबन बापूधाम योजना के अधिकांश आवंटी और योजना के लिए भूमि देने वाले किसान आज भी स्वयं को ठगा हुआ महसूस करते हैं। मधुबन बापूधाम योजना के अस्तित्व में आने के बाद से ही जहां सैकड़ों किसान मुआवजे की लड़ाई लड़ रहे हैं वहीं हजारों आवंटी आज भी अपने भूखंड की कीमत का भुगतान करने के बावजूद कब्जा पाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।


मधुबन बापूधाम की बदहाली अर्से से प्राधिकरण को मुंह चढ़ा रही है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे प्राधिकरण को आवंटियों को बसाने के लिए कई हजार करोड रुपए की दरकार है। मधुबन बापूधाम के एक बड़े हिस्से में बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं अभी भी नदारद हैं। मधुबन बापूधाम रेजिडेंशियल सोसायटी के सचिव लीलाधर मिश्रा का कहना है कि योजना के ब्रोशर की शर्तों के अनुसार आवंटियों ने भूखंड की कीमत निर्धारित दर पर अदा की। इसके बावजूद प्राधिकरण ने सभी भू आवंटियों पर 5175 रुपए प्रति वर्ग मीटर का अधिभार थोप दिया। प्राधिकरण के एक तुगलकी फरमान की वजह से आवंटियों को प्रति भूखंड 10 से 15 लाख रुपए अधिक कीमत चुकानी पड़ी।


मिश्रा का कहना है कि जीडीए की ओर से मधुबन बापूधाम योजना को भी ‘जनहितैषी’ बताया गया था। मधुबन बापूधाम योजना कितनी ‘जनहितैषी’ है? इसकी वास्तविकता धरातल पर कभी भी परखी जा सकती है। उनका कहना है कि आवंटन के 20 साल बाद भी इस योजना के आवंटी बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे हैं। वहीं वातानुकूलित दफ्तर में बैठकर जीडीए अधिकारी ख्याली पुलाव पकाते हैं। मिश्रा का कहना है कि मधुबन बापूधाम योजना में विकास कार्यों के लिए कंगाली की दुहाई देने वाले जीडीए के पास हरनंदीपुरम योजना के लिए 5000 करोड रुपए कहां से आएंगे? यह बताने के साथ मधुबन बापूधाम योजना में भी विकास की सुध इन अधिकारियों को लेनी चाहिए। श्री मिश्रा ने कहा कि हरनंदीपुरम योजना के लिए जिस तरह से ड्रोन से भूमि का सर्वे करवाया जा रहा है इस तर्ज़ पर मधुबन बापूधाम योजना में आवंटियों की बदहाली का भी सर्वे किया जाना चाहिए।


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