- प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही बिछ गई उप चुनाव की बिसात
- शुक्रवार को सभी दलों के प्रत्याशियों का नामांकन होने के साथ ही शुरू हो जायेगा चुनावी युद्ध
- सोशल मीडिया पर भी रोमांचक होगा चुनावी संग्राम
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट के उप चुनाव के लिए सभी दलों के घोड़े तैयार है। इसके साथ ही घुड़सवार भी दलों ने तय कर दिये हैं। इस चुनाव में पहली बार ब्राह्मण के साथ ही जाट, वैश्य एवं अनुसूचित जाति के प्रत्याशियों की धमक होगी। एक तरफ जहां भाजपा के महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा को भाजपा ने मैदान में उतारकर सभी दावेदारों को लाल झंडी दिखा दी तो वहीं दूसरी तरफ सपा- कांग्रेस के इंडिया गठबंधन ने दलित समाज से प्रत्याशी को मैदान में उतारकर बसपा एवं आज समाज पार्टी को झटका देने का काम किया है। इस स्थिति में चुनाव के रोचक होने की उम्मीद है।
बता दें कि भाजपा से टिकट के लिए मुख्य रूप से संजीव शर्मा के साथ ही दो बार महानगर अध्यक्ष रह चुके एवं दो बार ही क्षेत्रीय महामंत्री रह चुके अशोक मोंगा के साथ ही वर्तमान में भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष मयंक गोयल एवं ललित जायसवाल दमदार तरीके से टिकट मांग रहे थे। लेकिन भाजपा नेतृत्व ने संजीव शर्मा के नाम के ऊपर मुहर लगा दी। अब तक वैश्य, पंजाबी या ओबीसी के बजाय पार्टी ने ब्राह्मण चेहरे को पसंद किया। बताया जा रहा है कि इस टिकट में सांसद अतुल गर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
दूसरी तरफ सपा ने दलित समाज के सिंहराज जाटव को इंडिया गठबंधन से प्रत्याशी बनाकर सीधा संदेश दिया है कि वह सामान्य सीट पर भी दलित समाज को चुनाव लड़वा सकती है। सपा ने सीधे सीधे बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक में सैंध लगाने का प्रयास किया है। बसपा ने इस सीट से वैश्य समाज के पीएन गर्ग को प्रत्याशी बनाया है। हालांकि सपा से टिकट के लिए वैश्य समाज के अभिषेक गर्ग की दावेदारी मजबूत थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें जहां नजरअंदाज किया, वहीं सूत्र बताते हैं कि पूर्व विधायक सुरेंद्र कुमार मुन्नी एवं अमरपाल शर्मा ने चुनाव लड़ने से परहेज किया।
चंद्र शेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी ने सबसे पहले सत्यपाल चौधरी को प्रत्याशी बना दिया था। इस उप चुनाव में बसपा का टिकट छिनने के बाद रवि जाटव ने एआईएमआईएम का दामन थामा और वे पार्टी के प्रत्याशी बन गये हैं। इस प्रकार दलित समाज की बात करने वाली बसपा ने जहां वैश्य प्रत्याशी मैदान में उतारा है तो आसपा ने जाट और औवेसी की एआईएमआईएम ने भी दलित प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। इसका सीधा अर्थ है कि सभी दलों की नजरें दलित मतदाताओं पर है। इस विधानसभा क्षेत्र में दलित और मुस्लिम मतदाता सबसे अधिक है। लेकिन जिस प्रकार दलित मतदाताओं को लुभाने की भाजपा से अलग सभी दलों में होड़ है उसके बाद सपा से भी जाटव प्रत्याशी के मैदान में आने से भाजपाई खुशी का इजहार कर रहे हैं। लेकिन चुनावी समीकरण किसकी तरफ रहते हैं यह तो 23 नवंबर को ही पता चल सकेगा।