भारत चंद्रमा दिखाई देगा सुपरमून के रूप में शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र गाजियाबाद के आचार्य शिवकुमार शर्मा बताया कि चन्द्र ग्रहण 18 सितंबर को शुक्ल पक्ष पूर्णिमा बुधवार को भारतीय समय के अनुसार प्रातः 7:42 बजे से 8:47 बजे रहेगा। इस चन्द्र ग्रहण को अंटार्कटिका ,पश्चिमी हिंद महासागर, मध्य पूर्व अफ्रीका, यूरोप अटलांटिक महासागर, अमेरिका , मेडागास्कर, सऊदी अरब, इराक, ईरान रूस का दक्षिण का हिस्सा, उत्तरी पेसिफिक सागर ,दक्षिण पैसेफिक सागर ,कनाडा आदि में देखा जा सकेगा।
भारत में यह ग्रहण किसी भी स्थान पर दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसका सूतक पातक व दुष्प्रभाव भारत में मान्य नहीं है। मंदिरों में पूजा होती रहेगी ।मंदिर बंद नहीं होंगे। इसी पक्ष के अंत में आश्विन अमावस्या 2 अक्टूबर, दिन बुधवार को पूर्ण सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार रात्रि 9:30 बजे से देर रात 3 :17:00 बजे तक विदेशों में दिखाई देगा। इस पूर्ण सूर्य ग्रहण को रात्रि 10:24 से 2:06 तक देखा जा सकेगा। यह वैज्ञानिकों के अध्ययन का विषय बनेगा। क्योंकि यह पूर्ण सूर्य ग्रहण है। दिन में रात हो जाएगी।
इस ग्रहण को हवाई द्वीप ,पश्चिम मेक्सिको, दक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका ,दक्षिण जॉर्जिया आदि देशों में देखा जासकेगा । यह सूर्य ग्रहण की भारत में दिखाई नहीं देगा । इसका कोई सूतक, पातक अथवा दुष्प्रभाव भारत में नहीं होगा।एक विशेष बात जिन संभागों में चन्द्र ग्रहण नहीं है उन देशों व संभागों में 17 तारीख को चंद्रमा सुपर मून के रूप में दिखाई देगा। पृथ्वी से निकटता है कारण चंद्रमा आकार में लगभग 14% की वृद्धि रहेगी जो एक विशिष्ट खगोलीय घटना है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक कथन है । क्रूर संयुक्त सूर्येन्दोर्गृहणे नृपति:क्षय:।
राष्ट्रभंग,छत्रभंग वा प्रार्दुभौ,प्रजा मुनीश्वरा:।अर्थात एक साथ एक महीने में चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण लगातार पूर्णिमा और अमावस्या को पड़े तो उसके दुष्परिणाम स्वरूप उस क्षेत्र में राष्ट्रभंग अथवा क्षत्रभंग होता है। अर्थात किसी देश के प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति अथवा उच्च अधिकारी की मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट होता है ।किसी देश की शासन व्यवस्था बदल जाती है। उपद्रव ,अशांति व हिंसा का माहौल बन जाता है।आचार्य शिवकुमार शर्मा, ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट गाजियाबाद