अथाह ब्यूरो
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि प्री-बजट का दिखावा भी एक छलावा है। जहां मनमानी होती है वहां सलाह-मशवरे का नाटक करना जनता की आंख में धूल झोंकना है। सरकार में अधिकतर मंत्रालय ‘मन-त्रालय’ बनकर रह गये हैं। जब मंत्री ही नहीं बदले हैं तो बजट में बदलाव कैसे आएगा? आर्थिक बदहाली का ये दौर यूं ही जनता को परेशानी और महंगाई के दलदल में धकेलता रहेगा।
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार की नोटबंदी, जीएसटी, आम जनता पर ज्यादा टैक्स और अमीर कंपनियों पर कम टैक्स की घातक आर्थिक नीतियों की वजह से देश में असंगठित-अनौपचारिक काम-धंधों की 63 लाख इकाइयां बंद हो गयी हैं। इससे बेरोजगारी भी रिकार्ड स्तर पर पहुँच गयी है। ऐसे हालातों में जब 10 दिन बाद बजट पेश होना है, सरकार क्या किसी का सुझाव लेगी और क्या पहले से तैयार बजट में कोई बदलाव करेगी? कोविड जैसी त्रासदी के बाद जो आर्थिक हालात पैदा हुए हैं, उनमें भी सुधार न होना भाजपा सरकार की आर्थिक बदइंतजामी की ही नाकामी है।
यादव ने कहा कि भाजपा सरकार का बजट सुझाव पर नहीं कुछ लोगों के निर्देश पर बनता है। आर्थिक नीतियों के मामले में भाजपा सरकार की भूमिका टाइपिस्ट से अधिक नहीं रही है। सरकार का बस स्टेनो बनकर रह जाना अच्छा नहीं। उन्होंने कहा कि जनता को राहत देते हुए देश का विकास ही बजट का उद्देश्य होना चाहिए। जबकि भाजपा सरकार की नीति ही किसान, नौजवान, गरीब विरोधी है। महंगाई, बेरोजगारी चरम पर है। भाजपा ने अपनी गलत नीतियों से युवाओं को बेरोजगारी के महासागर में धकेल दिया है। पूंजी निवेश और औद्योगिक इकाइयों के लगने का अंतहीन इंतजार ही नियति में है। इस सरकार से अब किसी को कोई उम्मीद नहीं है।