Dainik Athah

शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी कमियों को दूर करने और छात्रों व शिक्षकों के भविष्य को देखते हुए लागू की गई है डिजिटल व्यवस्था

गहन तैयारी और पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद लागू की गई डिजिटल रजिस्टर की व्यवस्था

एक वर्ष पूर्व ही रजिस्टर्स को डिजिटाइज किए जाने का हुआ था आदेश, शिक्षकों के वर्क लोड को कम करना था उद्देश्य

यूट्यूब लाइव सेशन समेत विभिन्न माध्यमों से डिजिटल रजिस्टर के उपयोग के लिए शिक्षकों को दिया गया है प्रशिक्षण

पायलट प्रोजेक्ट के माध्यम से डिजिटल रजिस्टर के उपयोग में आने वाली तकनीकी समस्याओं का किया गया समाधान

अथाह ब्यूरो
लखनऊ।
शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी कमियों को दूर करने को लेकर सीएम योगी की मंशा के अनुरूप उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में उपलब्ध 12 रजिस्टर्स को डिजिटाइज किए जाने की शुरूआत की गई है। इस डिजिटल अभियान को लागू किए जाने की शुरूआत एक साल पहले ही हो गई थी और हर स्तर पर शिक्षकों को इससे लगातार अपडेट और प्रशिक्षित किया जाता रहा है। एक वर्ष पूर्व इसी जुलाई माह में विभाग के द्वारा सभी रजिस्टर को डिजिटल किए जाने का आदेश जारी किया गया था, जिसके बाद से लगातार शिक्षकों को फिजिकल और आॅनलाइन दोनों माध्यमों से इसके उपयोग को लेकर प्रशिक्षित किया गया। डिजिटल रजिस्टर का उपयोग किस तरह किया जाना है और इससे उनका कितना समय बचेगा, इन सभी विषयों पर शिक्षकों को जानकारी दी गई है। इसके साथ ही पायलट प्रोजेक्ट के माध्यम से डिजिटल रजिस्टर के उपयोग में आने वाली तकनीकी समस्याओं का समाधान किया गया। डिजिटल अभियान के माध्यम से बेसिक शिक्षा विभाग का उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी कमियों को दूर कर शिक्षकों और छात्रों के लिए शिक्षा का आदर्श वातावरण स्थापित करना है।

एक वर्ष पूर्व जारी किया गया था आदेश
बेसिक शिक्षा विभाग ने 4 वर्ष पूर्व 14 अगस्त, 2020 को सभी परिषदीय स्कूलों में रजिस्टरों की संख्या को घटाकर 14 कर दिया था। इस तरह शिक्षकों के वर्कलोड को कम करने का प्रयास किया गया था। कोरोना काल में ही प्रदेश सरकार की पहल पर परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों और छात्रों की मदद के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से शैक्षिक पाठ्यक्रम उपलब्ध कराया गया था। इसने महामारी के दौरान भी छात्रों को शिक्षा से जोड़े रखा। इसके बाद से ही सरकार स्कूली शिक्षा में डिजिटल हस्तक्षेप को प्रोत्साहित कर रही है। इसी क्रम में एक वर्ष पूर्व 20 जुलाई, 2023 को विभाग की ओर से स्कूलों में उपलब्ध रजिस्टर्स के डिजिटलीकरण का आदेश जारी किया था। इस आदेश में स्पष्ट कर दिया गया था कि शिक्षकों और छात्रों की बेहतरी के लिए स्कूलों में डिजिटल व्यवस्था को सरकार अगले चरण में ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसे अपनाना व्यवहारिक भी है और समय की मांग भी।

यूट्यूब के माध्यम से शिक्षकों को दी गई ट्रेनिंग
इस आदेश के बाद सितंबर 2023 में इसको लागू करने की शुरूआत की गई, जब रजिस्टरों के कामकाज की जांच के लिए लखनऊ के कुछ शिक्षकों के साथ एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसको लागू किया गया और फिर 10 नवंबर, 2023 को डिजिटल रजिस्टर से संबंधित विस्तृत विवरण के साथ पत्र जारी किया गया। इस पत्र में स्पष्ट रूप से बताया गया था कि रजिस्टरों को कैसे भरना है और अंतिम पायलट की शुरूआत कैसे की जानी है। इसके उपरांत, 20 नवंबर से 24 जनवरी तक रजिस्टरों के उपयोग पर 7 जिलों का पायलट परीक्षण किया गया। इस दौरान इन सभी 7 जिलों के बीएसए और बीईओ की विभिन्न समीक्षा बैठकें आयोजित की गईं और उन्हें इससे संबंधित सभी जानकारियां प्रदान की गईं। 24 नवंबर 2023 को 7 पायलट जिलों के शिक्षकों के लिए यूट्यूब लाइव सेशन आयोजित किया गया, जबकि 25 जनवरी को बीईओ-एचएम बैठक में डिजिटल रजिस्टरों पर ओरिएंटेशन आयोजित करने के लिए विभाग से आदेश जारी किया गया। इसके साथ ही 15 फरवरी से छात्र उपस्थिति और एमडीएम रजिस्टर अनिवार्य रूप से डिजिटली भरे जाने की व्यवस्था शुरू की गई। अब जुलाई में इसको पूरी तरह प्रदेश भर में लागू किया गया है और शिक्षकों की सुविधा के लिए उन्हें कुछ छूट भी प्रदान की गई है।

7 जिलों में सफल रहा था पायलट प्रोजेक्ट
पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने के 2 तरह के उद्देश्य थे। पहला, प्रोग्रामैटिक था, जो यह जांचने के लिए था कि क्या शिक्षक रजिस्टरों का उपयोग करने में सक्षम हैं और क्या उन्हें लगता है कि रजिस्टरों में बदलाव की आवश्यकता है। इसके साथ ही इसके माध्यम से यह भी पता लगाया गया कि क्या उन्हें किसी तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। दूसरा उद्देश्य तकनीकी था, जिसमें एप की तकनीकी व्यवहार्यता और स्थिरता की जांच करने के साथ ही यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण था कि एप उपयोगकर्ता केंद्रित हो और डेटा का सुचारू व सही प्रवाह हो। यह पायलट प्रोजेक्ट लखनऊ मंडल के तहत लखनऊ, हरदोई, रायबरेली, सीतापुर, खीरी और उन्नाव के साथ ही श्रावस्ती जिलों में चलाया गया था। यही नहीं, पिछले वर्ष कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में भी डिजिटल रजिस्टर उपलब्ध कराए गए थे और उनका इस्तेमाल भी किया गया है।


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