- भाजपा के राष्टÑीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष दो दिवसीय दौरे पर लखनऊ
- बीएल संतोष दो दिन से लगातार कर रहे हैं अलग अलग बैठकें
- मोर्चों के साथ अलग बैठक, प्रदेश पदाधिकारियों एवं क्षेत्रीय अध्यक्षों के साथ अलग बैठक
अशोक ओझा
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष की उपस्थिति में हुई बैठकों में यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि भाजपा प्रत्याशियों के अहंकार और कार्यकर्ताओं की उदासीनता उत्तर प्रदेश की 80 में 80 लोकसभा सीट जीतने में सबसे बड़ा अवरोध साबित हुई। हालांकि इसके साथ ही हवा में तैर रहे अन्य मुद्दे भी उनके सामने अलग अलग बैठकों में उठाये गये।
राष्टÑीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष शनिवार को दो दिवसीय दौरे पर लखनऊ पहुंचे। हालांकि उनके आने का मुख्य उद्देश्य जो औपचारिक रूप से बताया गया वह प्रदेश कार्यसमिति की 14 जुलाई को होने वाली बैठक की तैयारियां थी, लेकिन हकीकत में उनका दौरा पूरी तरह उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में भाजपा के दूसरे नंबर पर रहने को लेकर चिंता है। शनिवार को भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में हुई विभिन्न बैठको में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह तथा प्रदेश महामंत्री व क्षेत्रीय अध्यक्ष मौजूद रहे। शनिवार को अपने दो दिवसीय संगठनात्मक प्रवास पर लखनऊ पहुंचे राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) श्री बीएल संतोष ने आगामी कार्यक्रम व अभियानों सहित प्रदेश कार्यसमिति बैठक की तैयारियों पर चर्चा की।
राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) श्री बीएल संतोष ने कहा कि संगठन के विस्तार का कार्य निरन्तर व अनवरत चलता है। प्रदेश में होने वाले उपचुनाव को मजबूती से लड़कर विजय सुनिश्चित करने के संकल्प के साथ काम करना है। उन्होंने कहा कि भाजपा राजनैतिक कार्यक्रमों व अभियानों के साथ ही अपने सामाजिक व राष्ट्रीय दायित्वो के प्रति भी सजग है।
विभिन्न बैठकों में जो तथ्य उभरकर आये उनके अनुसार प्रदेश में लोकसभा चुनाव लड़ने वाले अधिकांश प्रत्याशी अहंकार से भरे थे। उन्हें यह लगता था कि भाजपा का टिकट उनकी जीत की गारंटी है। यहीं कारण है न तो प्रत्याशियों ने चुनाव प्रबंधन पर ध्यान दिया और न ही प्रचार पर और पैसा खर्च करने में कंजूसी बरती। यह पहली बार था कि पूरे प्रदेश में भाजपा की तरफ से यह नजर नहीं आ रहा था कि चुनाव हो रहा है। अहंकार के चलते प्रत्याशियों ने अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी महत्व नहीं दिया जिस कारण कार्यकर्त्ताओं में उदासीनता घर कर गई। इसके साथ ही जिस प्रकार 400 पार का नारा था उसने भी कार्यकर्ताओं को आराम तलब बना दिया।
इसके साथ ही पदाधिकारियों ने प्रदेश स्तर पर एवं जिलों में पुलिस- प्रशासन के साथ ही अन्य विभागों के अधिकारियों को निशाने पर रखते हुए कहा कि सत्ता में होते हुए भी हमें यह लगता ही नहीं कि हम सत्तारूढ़ दल के पदाधिकारी अथवा कार्यकर्ता है। संविधान को खतरा, इंडिया गठबंधन का आक्रामक प्रचार समेत अन्य मुद्दे भी इस दौरान उठाये गये।