Dainik Athah

23 जून से बना रहे हैं वर्षा के योग

  • ‘आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य का प्रवेश 21 जून को’
  • सायन गणना के अनुसार सूर्य कर्क राशि में*,
  • इस दिन से बन रहे हैं नक्षत्रों के अनुसार स्त्री पुरुष योग, भारी वर्षा के संकेत


शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र गाजियाबाद के आचार्य शिवकुमार शर्मा के अनुसार 21 जून के बाद भारी वर्षा के संकेत बन रहे हैं।
सूर्य देव आर्द्रा नक्षत्र में 21 जून को मध्य रात्रि 12:06 बजे प्रवेश करेंगे।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार और ज्योतिषीय गणना के अनुसार जब सूर्य का प्रवेश आर्द्रा नक्षत्र में रात्रि में होता है ,उस वर्ष भारी वर्षा के योग होते हैं। शास्त्र वाक्य –
यदा आद्रार्यां रवि: निशायां प्रविष्ट:,तदा भवति अतिवृष्टि: चातुमार्से
भारी वर्षा,आंधी, तूफान, बवंडर चक्रवात, भूकंप, आदि के कारण जनधन की हानि के संकेत बन रहे हैं।

इसी दिन यानी 21 जून को प्रात: 4:22 पर सायन गणना के अनुसार सूर्य कर्क राशि में आ रहे हैं अर्थात वर्षा ऋतु का आरंभ होगा। 23 जून को सबसे बड़ा दिन होगा। सायन गणना में जब सूर्य कर्क राशि में आते हैं तो उसमें सूर्य उदय का समय धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। इस दिन से दिन छोटे और रात बड़ी होनी आरंभ जाती है। सूर्य दक्षिणायन हो जाएंगे और वर्षा ऋतु का संयोग बनता है ।
ज्योतिषीय ग्रन्थों के अनुसार 27 नक्षत्रों में कुछ नक्षत्र स्त्री नक्षत्र होते हैं कुछ पुरुष नक्षत्र होते हैं और कुछ नपुंसक नक्षत्र होते हैं। पुरुष और नपुंसक संख्या होती है ।सूर्य और चंद्रमा परस्पर विपरीत नक्षत्रों अर्थात स्त्री पुरुष नक्षत्र में हो तो यह वर्षा का योग बनता है । 23 जून से सूर्य पुरुष नक्षत्र आर्द्रा में और चंद्रमा स्त्री नक्षत्र पूवार्षाढ़ नक्षत्र में होंगे। इसलिए वर्षा होने के बहुत अधिक संकेत मिल रहे हैं। जनसाधारण की जानकारी के लिए ज्योतिष में पुरुष ,स्त्री और नपुंसक के नक्षत्र का विवरण इस प्रकार है:

पुरुष नक्षत्र – आर्द्रा, पुनर्वसु पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूवार्फाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा व स्वाति।
स्त्री नक्षत्र – मूल, पूवार्षाढ़ा, उत्तराषाढा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूवार्भाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती, अश्विनी, भरणी, कृतिका, रोहिणी व मृगशिरा ।
नपुंसक नक्षत्र – विशाखा, अनुराधा व ज्येष्ठा ।
जब चंद्रमा और सूर्य परस्पर स्त्री और पुरुष नक्षत्र में होते हैं तो वर्षा होती है। सूर्य और चन्द्र दोनों स्त्री -स्त्री अथवा स्त्री- नपुंसक के नक्षत्र होती है तो वर्षा न होकर के बादलों का आवागमन रहता है
यदि सूर्य व चंद्र पुरुष -पुरुष नक्षत्र में होते हैं तो वर्षा नहीं होती मौसम साफ रहता है।

आचार्य शिवकुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट गाजियाबाद


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