Dainik Athah

वासंतिक नवरात्र आरंभ होंगे 9 अप्रैल से, घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

अमृत सिद्धि योग में आरंभ हो रहे हैं नवरात्रि

भारतीय नव संवत्सर 2081 नौ अप्रैल से आरंभ होगा और इसी दिन से वासंतिक नवरात्रि भी आरंभ हो जाएंगे।मंगलवार से नवरात्रि आरंभ होने से मां दुर्गा अश्व पर सवार होकर आएंगी ।जो राष्ट्र के लिए हितकारी है।इस बार नवरात्रि पूरे 9 दिन के ही रहेंगी। कोई तिथि घटेगी या  बढ़ेगी नही।दुर्गा सप्तमी 15 अप्रैल और दुर्गाष्टमी व कन्या पूजन 16 अप्रैल का रहेगा।महा नवमी और रामनवमी 17 अप्रैल को मनाई जाएगी ।इसी दिन नवरात्र समाप्त हो जाएंगे। घट स्थापना के शुभ मुहूर्त 9 अप्रैल को प्रातः 7:54 बजे से 9:50 बजे तक  स्थिर लग्न वृषभ लग्न में घट स्थापना का बहुत शुभ मुहूर्त है।मध्याह्न 11: 36 बजे से 12: 24 बजे तक अभिजित मुहूर्त घट स्थापना के लिए बहुत शुभ मुहूर्त है।इसके पश्चात दोपहर बाद 14-24 बजे से 3:00 बजे तक सिंह लग्न में घट स्थापना हो सकती  है।3:00 बजे से 4:30 तक राहुकाल है।इस समय को त्यागना चाहिए।

घट स्थापना की विधि  व कलश स्थापना के नियम*प्रातः काल जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर माता की पूजा के लिए 2 चौकियां सजाएं ।बाएं हाथ की चौकी पर  चावल अथवा रोली से अष्टदल बनाकर कलश की स्थापना करें।कलश के नीचे अन्न (गेहूं या चावल) रखने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है।ऐसी मान्यता है कि  कोई भी पूजा करने से पूर्व कलश की स्थापना घर में अन्न और जल की पूर्णता प्रदान करने वाली होती है। मिट्टी अथवा तांबे के कलश सबसे पहले थोड़ा गंगाजल डालें। उसमें चावल ,सुपारी बताशा या मिष्ठान और  सिक्का डाल दें।कलश पर कलावा लपेटे ,कलश के मुंह पर आम  या अशोक के पत्ते  रखें। उसके ऊपर अंगोछा से लिपटा हुआ नारियल  रखें  और वरुण भगवान का ध्यान करते हुए प्रार्थना करें कि मेरा घर अन्न और जल से हमेशा परिपूर्ण रहे। इस प्रकार कलश की स्थापना सामान्य लोग भी कर सकते हैं।

इसके पश्चात दाहिने हाथ की ओर दूसरी चौकी पर दुर्गा मां की फोटो रखें, मां को चुन्नी ओढ़ाकर आह्वान स्नान ,आसन,रोली , पुष्प,धूप ,दीप नैवेद्य आदि से पूजन करें और घी का दिया अपने दाहिने हाथ की ओर  जलाएं। बीच में मां भगवती का आसन, दुर्गा मां के दाहिनी और कलश और उनके बांयी और दीपक का स्थान होना चाहिए। कुछ परिवारों में मिट्टी में जौ उगाने की भी परंपरा है, उसे भी करना चाहिए।यदि दुर्गा सप्तशती के पाठ करने हैं तो स्वस्तिवाचन, गणेश पूजन ,नवग्रह आदि की पूजा करने के पश्चात दुर्गा मां का पाठ आरंभ करें।पंडित शिवकुमार शर्मा, आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिष रत्न  अध्यक्ष- शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र ,गाजियाबाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *