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डॉली शर्मा को कांग्रेस ने उतारा मैदान में प्रखर प्रवक्ता डॉली शर्मा के मैदान में आने से जुबानी जंग भी होगी तेज

कांग्रेस नेताओं को साधना होगा डॉली शर्मा को, कार्यकर्ताओं में उत्साह

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद।
लंबे इंतजार के बाद आखिरकार कांग्रेस नेतृत्व ने आखिरकार डॉली शर्मा को गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र से मैदान में उतार दिया है। डॉली के मैदान में आने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह देखा जा रहा है। उन्हें चुनाव लड़ने का पुराना अनुभव है। जिस प्रकार प्रवक्ता होने के कारण उन्हें मुखर वक्ता भी माना जाता है उससे लगता है कि चुनाव रोचक होगा।
कांग्रेस नेतृत्व ने बुधवार को देर शाम कांग्रेस प्रवक्ता डॉली शर्मा को गाजियाबाद लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया। उनका मुकाबला कांग्रेस से सांसद रह चुके स्वर्गीय सुरेंद्र प्रकाश गोयल के पुत्र सुशांत गोयल से था। हालांकि दौड़ में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य नरेंद्र त्यागी बुराड़ी को भी माना जा रहा था, लेकिन बाद में उन्होंने अपने को दौड़ से हटा लिया। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार गाजियाबाद लोकसभा सीट से डॉली एवं सुशांत के बीच टिकट के लिए कांटे की टक्कर चल रही थी। लेकिन भाजपा ने जब वैश्य समाज से आने वाले शहर विधायक अतुल गर्ग को टिकट दिया तब डॉली शर्मा की राह आसान नजर आने लगी।

डॉली शर्मा को एक अन्य लाभ अपने पिता के नाम का भी मिला। उनके पिता नरेंद्र भारद्वाज कांग्रेस के विभिन्न पदों पर रहने के साथ ही कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कांग्रेस के साथ ही गाजियाबाद महानगर में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। इसके साथ ही जिस प्रकार जर्नल वीके सिंह का टिकट कटने के बाद राजपूत समाज अपनी नाराजगी दिखा रहा है उसे यदि साथ जोड़ लिया तो चुनाव में उनकी मजबूत पकड़ हो सकती है।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार कांग्रेस की नजर भाजपा विधायकों के विरोधी गुटों पर भी लगी है। कांग्रेस का मानना है कि यदि विधायकों के विरोधियों को साथ ले लिया गया तो चुनाव में पासा भी पलट सकता है। डॉली शर्मा पिछले लंबे समय से टिकट की उम्मीद में लोनी से लेकर धौलाना तक के क्षेत्र में दौरे कर रही थी। जिस प्रकार उन्होंने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी थी उसका लाभ भी उन्हें अवश्य मिलेगा।

अपने दल के विरोधियों को भी लेना होगा साथ
लंबे समय से कांग्रेस में सक्रिय होने के साथ ही महापौर एवं सांसद का चुनाव लड़ चुकी डॉली शर्मा को जहां चुनावी राजनीति का अनुभव है, वहीं उनके सामने समस्या अपनी ही पार्टी वालों से आयेगी। अपने विरोधी नेताओं को भी उन्हें साधना होगा। नाराज नेताओं को मनाने के लिए भी हर संभव प्रयास किये जायेंगे।


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