- ‘भारतीय ज्ञान परम्परा : अनुप्रयोग और सिद्धान्त’ तथा ‘हिंदी डायस्पोरिक सिनेमा और भारतीय डायस्पोरा’ का विमोचन
अथाह ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रख्यात शिक्षाविद एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कहा कि दुनिया में हमारी संस्कृति सबसे पुरानी लेकिन नित्य नूतन है। वह आज यहाँ प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेला में डॉ रिन्जु राय और डॉ अनुपम कुमार राय लिखित दो पुस्तकों ‘भारतीय ज्ञान परम्परा : अनुप्रयोग और सिद्धान्त’ तथा ‘हिंदी डायस्पोरिक सिनेमा और भारतीय डायस्पोरा’ का विमोचन करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। इन दोनों पुस्तकों का प्रकाशन किताबवाले ने किया है।
डा. कोठारी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा का फलक बहुत विस्तृत है। अपनी ज्ञान परम्परा को हर एक को जानना चाहिए। हमारी ज्ञान परम्परा का श्रीगणेश देश, काल और परिस्थिति को ध्यान में रखकर किया गया है। विदेश में बसे अधिकांश लोग भारतीय परम्परा से बँधे हुए हैं। दुनिया की अधिकतर समस्याओं का समाधान भारतीय ज्ञान परम्परा में है। उन्होंने जोर देकर कहा कि शिक्षा का लक्ष्य चरित्र निर्माण होना चाहिए।
आयोजन के विशिष्ठ अतिथि अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री महेन्द्र कुमार ने कहा कि गांधीजी भी कहा करते थे कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही होनी चाहिए। कालेजों में जिस तेजी से डिग्री का चलन बढ़ा है उसी तेजी से ज्ञान की कमी महसूस की जाने लगी है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से देश के कोने- कोने में भारतीय ज्ञान परम्परा का अलख जगा है।
इससे पूर्व किताबवाले प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक प्रशांत जैन ने शाल ओढ़ाकर और स्मृति चिह्न देकर आगत अतिथियों का स्वागत किया। मंच संचालन महाराजा अग्रसेन कालेज के प्रो सुधीर रिन्टन और धन्यवाद ज्ञापन राकेश मंजुल ने किया। समारोह में केन्द्रीय विश्वविद्यालय, अरूणांचल प्रदेश के कुलपति डॉ साकेत कुशवाहा, सरगुजा विश्वविद्यालय अम्बिकापुर के कुलपति डॉ अशोक सिंह और पंडित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय शेखावाटी (सीकर) के कुलपति डॉ अनिल कुमार राय समेत कई गण्यमान्य लोग उपस्थित रहे।