संस्कार भारती ने की ‘भरत मुनि सम्मान 2023’ पाने वाले कलाकारों की घोषणा
अथाह ब्यूरो
नई दिल्ली। कला एवं साहित्य की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती ने दिल्ली के उभरते कला केंद्र ‘कला संकुल’ में कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए अपने ‘प्रथम सम्मान’ की घोषणा की। वर्ष 2023 के लिए दृश्य कला एवं लोक कला विधाओं के कलाकारों को यह सम्मान दिया जाएगा। दृश्य कला में मुंबई के चित्रकार विजय दशरथ आचरेकर एवं लोक कला में सिंधुदुर्ग के गणपत सखाराम मसगे को उनकी कला साधना और अपने कार्यक्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए संस्कार भारती द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
दोनों नामों की घोषणा करते हुए संस्कार भारती के अखिल भारतीय महामंत्री अश्विन दलवी ने कहा कि ऐसे विशिष्ट कलाकारों को सम्मानित करते हुए हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह सम्मान 1 से 4 फरवरी को बेंगलुरु में होने जा रहे अखिल भारतीय कला साधक संगम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघ चालक मोहनराव भागवत द्वारा दिया जाएगा। संस्कार भारती द्वारा दिया जाने वाला यह ‘भरत मुनि सम्मान’ भारत में पंचम वेद के नाम से विख्यात नाट्य शास्त्र के रचयिता महर्षि भरत मुनि को समर्पित है। उन्होंने यह भी बताया की वर्ष 2024 का भरत मुनि सम्मान मंचीय कला और साहित्य के क्षेत्र में दिया जाएगा।
संस्कार भारती के सह कोषाध्यक्ष एवं भरत मुनि सम्मान समिति के संयोजक सुबोध शर्मा ने बताया कि सम्मान के रूप में एक स्मृति चिह्न, सम्मान पत्र एवं 1,51,000 रुपए की राशि भेंट की जाएगी। उसी समय संस्कार भारती द्वारा निर्मित दोनों ही कलाकारों के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित लघु फिल्म भी दिखाई जाएगी। उन्होंने सम्मान विजेताओं की चयन प्रक्रिया की संक्षिप्त जानकारी भी प्दी। इस मौक पर संस्कार भारती दिल्ली के कार्यकारी अध्यक्ष प्रभात कुमार भी उपस्थित रहे।
अखिल भारतीय कला साधक संगम-2024
अखिल भारतीय कला साधक संगम-20241 से 04 फरवरी को श्री श्री रविशंकर आश्रम बेंगलुरु में कला साधक संगम आयोजित होने जा रहा है। कला साधक संगम में देश भर के लगभग दो हजार प्रतिनिधि व कला साधक इकट्ठा होंगे। वस्तुत: कला साधक संगम भारतीय कला दृष्टि में विश्वास रखने वाले कला साधकों का एक समागम है जो प्राय: तीन वर्ष के अंतराल पर देश के अलग-अलग स्थान पर आयोजित होता है। इसमें विभिन्न कला विधाओं की मंचीय प्रस्तुतियां व बौद्धिक संवाद- विमर्श के आयोजन होते हैं जिनके माध्यम से कार्यकर्ता, कला साधक, कलासिक व आमजन भारतीय कला दृष्टि के प्रति अपनी सोच विकसित करते हैं और साहित्य-कला-संस्कृति के माध्यम से मातृभू आराधना में संलग्न होते हैं।
इस बार के कलासाधक संगम में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए साहित्यकार व कलाकार कला और साहित्य के माध्यम से समरसता विषय के अंतर्गत आने वाले विभिन्न पहलुओं पर संदेश देंगे। इस निमित्त अलग-अलग सत्रों में सेमिनार, मंचीय प्रस्तुतियों व प्रदर्शनि आयोजित होंगी। इसी क्रम में समरसता शोभायात्रा भी निकाली जाएगी। पेंटिंग, फोटोग्राफी, कैलीग्राफी व रंगोली की प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी । पूर्वोत्तर भारत के कला साधक सामूहिक नृत्य प्रस्तुति देंगे। धार्मिक-सामाजिक आख्यान, नृत्य, गायन, वादन की भी प्रस्तुतियां होंगी।