अथाह ब्यूरो
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि पूरे देश के लोग आज जातीय जनगणना के पक्ष में आ गए है और इसलिए आ गए है कि क्योंकि जो मूल भावना थी मंडल कमीशन की, संविधान की उस मूल भावना से खिलवाड़ करने का काम भाजपा के लोगों ने किया है। पाल, बघेल, धनगर समाज के हितों की लड़ाई तो हम लडेंगे ही आपका सहयोग भी इस सम्बंध में चाहिए ताकि अपनी जाति के संख्याबल के आधार पर वे हक और सम्मान पा सकेंगे।
यादव रविवार को टूंडला, फिरोजाबाद में पाल, बघेल, धनगर समाज की मंडलीय महा पंचायत को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। महा पंचायत को प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने भी सम्बोधित किया। यादव ने कहा कि आज के दिन बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर को याद करें जिन्होंने दलित और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण देकर सम्मानित किया था। इसके बाद मंडल कमीशन ने हमारी पिछड़ी जातियों को अधिकार दिलाने का काम किया था। उन्होंने इस मौके पर अहिल्याबाई होल्कर को नमन करते हुए कहा कि वे जितनी आप सबके लिए सम्मानीय है उससे ज्यादा हम लोगों के लिए सम्मानित है। हर वर्ग के लोग उनके योगदान को याद करते है। आप समाजवादियों की सरकार बनने दो, हम यह भरोसा देकर जा रहे है कि लखनऊ में गोमती रिवरफ्रंट पर उनकी सबसे शानदार प्रतिमा लगाने का काम करेंगे।
अखिलेश यादव ने कह कि बड़े-बड़े सपने दिखाए थे भाजपा ने यह बुन्देलखंड के लोग जानते होंगे। दिल्ली वाले आए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में मिसाइल बनेगी। आज 10 साल पीछे मुडकर देखते हैं तो जिन्होंने टैंक, बम बनाने का भरोसा दिलाया था, उन्होंने आज तक सुतली बम भी नहीं बनाया। कहा कि घर-घर नौजवान बेरोजगार बैठा है। भाजपा सरकार कहती है हमने करोड़ो नौकरियां दे दी। इसलिए समाजवादी लोग नारा दे रहे हैं कि घर-घर बेरोजगार, मांग रहा है रोजगार। भाजपा की नाकारा सरकार, बेच रही सरकारी संस्थान। निजी संस्थाओं में आउटसोर्सिंग से आरक्षण को समाप्त किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमने तो विधानसभा में भी सुना मुख्यमंत्री जी ने एक सूची दिखाकर कहा कि 46 में 56 केवल यादव एसडीएम बन गये। तभी से हमने मुख्यमंत्री जी का नाम 46 में 56 रख दिया है। यह झूठा प्रचार है कि नहीं? भाजपा सरकार 70 प्रतिशत बजट का खर्च नहीं कर पाई है। 40 हजार करोड़ रू0 गड्ढ़ामुक्त पर खर्च करने का दावा है। गड्ढ़े तो भरे नहीं गए, वे वैसे ही बने हुए है। ये पैसे कहां चले गए?