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कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान करने से जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती हैं- आचार्य शिवकुमार शर्मा

27 नवंबर को है कार्तिक पूर्णिमा स्नान, इसी दिन है रोहिणी व्रत

26 नवंबर को होगी देव दीपावली*कार्तिक मास की पूर्णिमा दिनांक 27 नवंबर को है। शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। भगवान विष्णु की पूजा इस दिन विशेष प्रभावशाली होती है ।इस दिन कार्तिक मास समाप्त होता है भीष्म पंचक भी समाप्त हो जाएंगे। इस दिन गंगा में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप क्षय हो जाते हैं ऐसा माना गया है। 27 नवंबर को प्रातः काल सूर्य उदय से अपराह्न 14:45 बजे तक पूर्णिमा है जो 1 दिन पहले यानी 26 नवंबर को 15:53 बजे आ जाएगी।सत्यनारायण व्रत कथा का व्रत भी इसी दिन रखा जाएगा।26 नवंबर को देव दीपावली मनाई जाती है।इस दिन ऐसी मान्यता है कि अपने पितरों की मुक्ति के लिए लोग श्रद्धा के साथ उनके लिए दीपक जला कर  गंगा  आदि पवित्र नदियों में प्रवाहित करते हैं। इसके साथ-साथ पुराणों में ऐसा वर्णन है कि प्राचीन काल में भयंकर राक्षस त्रिपुरासुर के आतंक से देवलोक  और पृथ्वी लोक बहुत कष्ट उठा रहा था। भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से  इसी दिन त्रिपुरासुर का वध किया था। कहते हैं कि त्रिपुरासुर के वध की प्रसन्नता में खुशी देवताओं ने काशी में गंगा किनारे एकत्र होकर दीपदान किया था। वह परंपरा आज भी चली आ रही है। इसलिए इस दिन असुरों के विनाश के लिए और पितरों के मोक्ष के लिए यह दीपदान अवश्य करना चाहिए।27 नवंबर को प्रातः काल कृतिका नक्षत्र है जो स्थिर योग बनाता है। यह 13:34 बजे तक है इसके पश्चात रोहिणी नक्षत्र आएगा।सोमवार को रोहिणी नक्षत्र  से प्रवर्धन योग बनता है इस पवित्र योग में रोहिणी व्रत  भी किया जाएगा। यह व्रत गणेश जी को प्रिय है। सौभाग्यवती महिलाएं इस व्रत को बड़े श्रद्धा से  करती हैं। अपने पति की दीर्घायु के लिए  व संतान की कामना के लिए यह व्रत किया जाता है।कार्तिक पूर्णिमा में भगवान विष्णु की सत्यनारायण कथा, मंत्र जाप, ओम् नमो भगवते वासुदेवाय, विष्णु सहस्त्रनाम, गोपाल सहस्त्रनाम, राम रक्षा स्तोत्रम आदि का पाठ करने का बड़ा महत्व है।

इस दिन प्रातःकाल उठ कर स्नान करें। यदि गंगा जी यदि पवित्र नदियों में जाने में असमर्थ है तो घर पर ही अपने नहाने के जल में थोड़ा गंगाजल मिला ले और पवित्र नदियों का स्मरण करते हुए सूर्य उदय से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।पितरों के निमित्त सूर्य को जल अर्पण करें ।जल में तिल अवश्य डालें। तत्पश्चात अपने घर के मंदिर में अथवा मंदिर में विष्णु भगवान जी की लक्ष्मी साथ पूजा करें।तत्पश्चात जो भक्त गण  सत्यनारायण व्रत कथा कहते हैं उनके लिए यह दिन बहुत शुभ है इस दिन कुछ लोग कार्तिक मास के कार्तिक स्नान का समापन भी करते हैं और पूर्णिमा के व्रत का उद्यापन  भी करते हैं। उनके  लिए बहुत अच्छा दिन है। कार्तिक पूर्णिमा वह पुण्य तिथि है इसमें इसमें पूर्णिमा व्रत का समापन और उसका आरंभ भी किया जा सकता है।इस दिन 27 विशिष्ट योगों में शिव योग भी है। अर्थात 27 नवंबर को इतने विशिष्ट योग है कि विशेष पूजा करने से व्यक्ति का भाग्य उदय होता है। जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है और परिवार में शांति समृद्धि लक्ष्मी का वास होता है। इस दिन निम्नलिखित योग है सोमवार को कृतिका नक्षत्र स्थिर योग बनता है* । उसके पश्चात सोमवार को  रोहिणी नक्षत्र प्रवर्धन  योग बनता है।शिवयोग रात्रि 23:37 बजे तक है जो बहुत महत्वपूर्ण है । इसके साथ-साथ चंद्रमा भी वृषभ राशि में है जो चंद्रमा की उच्च राशि है अर्थात यह समय यह व्रत बहुत ही श्रेष्ठ फलदायक है।*हिंदू परिवारों में देव उठानी एकादशी को जब देवताओं को जगाते हैं उनके निमित्त जो कलश आदि स्थापना करते हैं ।आकृतियां बनाते हैं उनको 5 दिन तक घर में रखते हैं। इन्हें भीष्म पंचक कहा गया है।कहा जाता  कि इसके बारे में महाभारत में कहानी है कि महाभारत के युद्ध की समाप्ति के बाद जब भीष्म पितामह शरशैय्या पर लेटे हुए थे, तो भगवान कृष्ण के साथ  पांडवों  उपदेश लेने के लिए पहुंचे थे ।ये वही 5 दिन हैं। देवोत्थान एकादशी से पूर्णिमा तक 5 दिन हमारे घर में देवता  निवास करते हैं ।और  पूर्णिमा को प्रातः काल उन्हें यह कहकर विदा करते हैं कि हे देवगण आप ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान हेतु जाइए और संसार का कल्याण करिए। ऐसी प्राचीन परंपरा हमारी संस्कृति की धरोहर हैं, जो केवल धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व की नहीं रखती है बल्कि भारतीय एकता व परंपराओं को आगे बढ़ने का काम कर रही है।

आचार्य शिवकुमार शर्मा, ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट,गाजियाबाद

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