नवीन अवसरों का लाभ उठाते हुए परिवहन निगम की स्थिति सुदृढ़ करें
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने कहा कि निगम सड़क परिवहन सेवा देने वाला जनोपयोगी सेवा संस्थान है। अर्थव्यवस्था में सुधार तेजी से होता विकास, नवीन सड़कों का निर्माण व बदलते परिदृश्य में नागरिकों की गतिशीलता में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि इसी के दृष्टिगत निगम के सम्मुख नवीन क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने सहित सेवा विस्तार करने के प्रचुर अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। निगम के व्यवसाय का अपेक्षित विस्तार दिया जाना है। उन्होंने परिवहन निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया कि नवीन अवसरों का लाभ उठाते हुए निगम की स्थिति व हित सुदृढ़ करें।
परिवहन मंत्री ने कहा कि जन-प्रतिनिधियों से प्राप्त पत्रों का संज्ञान लें। उन्होंने कहा कि जन-प्रतिनिधियों के स्तर से मुख्यालय में बस सेवाओं के संचालन विषयक प्राप्त होने वाले सर्वाधिक मांग पत्र सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद, झांसी, चित्रकूटधाम, देवीपाटन, आजमगढ़ व हरदोई क्षेत्रों से आये हैं। उन्होंने कहा कि उन क्षेत्रों में यदि बस का संचालन नहीं है तो संचालन प्रारम्भ कराएं अथवा संचालन विगत कुछ वर्षों से किसी कारणवश बन्द हो गया है तो उसे पुन: जांचोपरान्त शुरू कराएं। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि प्रत्येक नगर, उपनगर, गाँव से विभिन्न नगरों को परिवहन सेवा से जोड़ने हेतु कदम उठाएं, जिससे कि अधिक से अधिक लोगों तक परिवहन सेवा पहुंचाया जा सके। परिवहन सेवा बहाल करने से निगम द्वारा संचित यात्रियों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि विभिन्न नागरिकों व जन-प्रतिनिधियों द्वारा बस सेवा उपलब्ध कराने के अनुरोध पर तत्काल विचार करें, यह स्वागत योग्य अवसर व कार्य है।
परिवहन मंत्री के निदेर्शों के अनुपालन में प्रबंध निदेशक ने सभी क्षेत्रीय प्रबंधकों को निर्देश दिया है कि संचालित सेवाओं को प्रधान प्रबन्धक (संचालन) की पूर्व अनुमति के बिना बन्द न किया जाय। उन्होंने नवसंचालित सेवा के प्रतिफलों की दैनिक समीक्षा प्रथम एक माह तक सहायक क्षेत्रीय प्रबन्धक द्वारा किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि मार्ग की चेकिंग, ट्रैफिक सर्वे कर बस सेवा को सफल तथा लाभकारी बनाने हेतु प्रत्येक सम्भव उपाय पर कार्य किया जाय। यह आवश्यक है कि हमारी मनोवृत्ति, ग्राम्य एवं कस्बाई संचालन को सफल बनाकर निरापद रूप से सेवा देने की होनी चाहिए। सम्बन्धित मार्ग पर संचालित फेरों की संख्या में प्रस्थान समय उपलब्ध यातायात के परिमाण के अनुरूप पर्याप्त एवं सधन होना अनिवार्य है, ताकि सम्बन्धित मार्ग के यात्री परिवहन निगम की सेवा से भिन्न किसी सेवा का आश्रय न ले अथवा ऐसा करने की बाध्यता उनके सम्मुख उत्पन्न न हो।