जानिए ग्रहण का सूतक और इसका प्रभाव शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र
अथाह संवाददाता,गाजियाबाद: अक्टूबर दिन शनिवार को चंद्र ग्रहण पड़ेगा जो भारत में दृश्यमान होगा।यह वर्ष 2023 का अंतिम चंद्र ग्रहण है।यद्यपि ग्रहण रात्रि 1:05 से आरंभ होगा और प्रातः 2:24 पर समाप्त हो जाएगा।अर्थात कुल ग्रहण की अवधि एक घंटा 19 मिनट की होगी।लेकिन रात्रि 11:30 बजे से चंद्रमा की कान्ति मालिन होनीआरंभ हो जाएगी और ग्रहण समाप्ति के बाद 3:58 तक चंद्रमा की कान्ति मलिन रहेगी।यह पूर्ण अवधि 4 घंटे 28 मिनट की है।यह ग्रहण कंकणाकृति खंडग्रास होगा।यह ग्रहण भारत के साथ-साथ श्रीलंका नेपाल ,पाकिस्तान, बांग्लादेश ,भूटान, अफगानिस्तान, चीन ,रूस, ईरान, इराक ,सऊदी अरब ,नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका ,फ्रांस ,यूक्रेन, पोलैंड, इटली, ब्रिटेन, यूरोप ,थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान ,ब्राजील आदि देश में दिखाई देगा ।*चंद्र ग्रहण का सूतक*चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण के आरंभ होने से 9 घंटे पहले लग जाता है और सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले लगता है।चंद्र ग्रहण का सूतक 28 अक्टूबर 2023 को शाम 4:05 मिनट से आरंभ हो जाएगा।।इसलिए 28 अक्टूबर की शाम को मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे।आम जनता भी शाम के समय अपने घर में पूजा अर्चना अपने मंदिर में नहीं कर सकेंगी।सूतक और ग्रहण के समय बालक, वृद्धि और रोगी को छोड़कर अन्य व्यक्तियों को भोजन करना मना है।चंद्र ग्रहण होने पर प्रकृति में नकारात्मक प्रभाव दिखाई देता है प्रकृति में दूषित विकरण बढ़ जाता है।इसलिए ग्रहण की अवधि में खाद्य पदार्थों को खुला नहीं रखना चाहिए । चंद्रमा की दूषित विकिरणों के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए बचे हुए भोजन में या खाद्य पदार्थ में तुलसी के पत्ते अथवा कुशा डालकर रखनी चाहिए। इससे भोजन दूषित नहीं होता।ग्रहण की अवधि में ईश्वर की आराधना, गुरु मंत्र अथवा गायत्री मंत्र का जाप तथा योग्य पात्रों को दान आदि का विशेष महत्व होता है। ग्रहण के समाप्ति के पश्चात स्नान करके शुद्ध करके हवन पूजन करना चाहिए और अपने मंदिरों को साफ करके उन्हें दीपक जलाकर के भगवान की आरती आदि करें ।ग्रहण के समाप्ति के पश्चात स्नान करके ही सूतक की निवृत्ति होती है।।*गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष उपाय*जिन महिलाओं की गर्भ में शिशु पल रहा है ,उन्हें ग्रहण काल में चाकू आदि से फल, सब्जी नहीं काटने चाहिए।कैंची से कपड़ा आदि नहीं काटना चाहिए। ग्रहण काल में ईश्वर की प्रार्थना ,गुरुदेव के मंत्र जाप करते रहे एक स्थान पर निरंतर ना बैठे अथवा लेटे नहीं ।कुछ देर बैठकर भगवान के भजन अथवा सत्साहित्य पढ़ना चाहिए। इससे ग्रहण का दुष्प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर नहीं पड़ता है।प्रकृति के विपरीत आचरण नहीं करना चाहिए अर्थात ग्रहण अवधि में अनैतिक कार्य आदि नहीं करने चाहिए।
विभिन्न राशियों पर ग्रहण का प्रभाव
चंद्र ग्रहण आश्विन मास की पूर्णिमा अर्थात शरद पूर्णिमा को अश्विनी नक्षत्र में पड़ रहा है।इस दिन चंद्रमा मेष राशि में रहेंगे।इसलिए यह ग्रहण मेष,कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वालों के लिए शुभ नहीं है। इन मीन राशि वाले व्यक्तियों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए धन के लेनदेन में सावधानी बरते और वाहन चलाने में जल्दबाजी न करें । वृषभ, कन्या और कुंभ राशि वालों के लिए इस ग्रहण का फल मध्यम रहेगा। अर्थात जैसा सा चल रहा है वैसा ही चलता रहेगा ।लेकिन मिथुन ,सिंह ,तुला ,धनु और मकर राशि वालों के लिए यह ग्रहण बहुत ही शुभदायक,धन, सफलता और प्रसिद्धि देने वाला है।*शरद पूर्णिमा को नहीं ले सकेंगे औषधीय खीर का लाभ*आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। ऐसे व्रत की पूर्णिमा को कोजागरी व्रत भी कहते है ।किंतु इस माह की पूर्णमासी व्रत 28 तारीख को ही है। किन्तु शाम को 4:05 से चंद्र ग्रहण का सूतक आरंभ हो जाएगा इसलिए पूर्णमासी का व्रत का पारायण 4:00 बजे तक कर लेना चाहिए ।उसके पश्चात परायण करना शुभ नहीं होता या फिर अगले दिन प्रातः काल 4:00 बजे से 5:00 बजे के बीच करें।।शरद पूर्णिमा पर आयुर्वेदिक दृष्टि से शाम को खीर बनाकर चंद्रमा के प्रकाश में खीर रखकर प्रातःकाल खाते हैं ।कहते हैं कि शरद पूर्णिमा के चंद्रमा की किरणों में बहुत से औषधीय गुण होते हैं इसलिए इस खीर को खाने से व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ होता है किंतु इस बार चंद्रमा उदय से लेकर प्रातःकाल 4:00 बजे तक सूतक और ग्रहण का प्रभाव रहेगा ।इसलिए भक्तगण इस बार औषधीय खीर खाने से वंचित रह जाएंगे।*इस दिन होंगे सुपर मून के दर्शन*आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को चंद्रमा की कान्ति और आकृति बड़ी होगी। चंद्रमा की आकृति लगभग 14% बड़ी होगी और चमक 30% ज्यादा होगी।इसलिए इसे सुपरमून कहा गया है।चन्द्रमा लालिमा लिए हुए गुलाबी रंग का दिखाई देगा।लेकिन रात्रि 11:30 बजे की चंद्रमा की चमक मलिन होती चली जाएगी।आचार्य शिवकुमार शर्मा आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषाचार्य, गाजियाबाद