सभी जन प्रतिनिधियों के साथ ही प्रशासन को पूर्व में अवगत कराया जा चुका है समस्या से
ग्रामीण जनता का जीना हुआ दुश्वार, अब होगा आन्दोलन
अथाह संवाददाता मुरादनगर। मुरादनगर का पाइप लाइन क्षेत्र कूड़ा घर में तब्दील हो चुका है। नगर निगम का यहां पर डंपिंग ग्राउंड बनने से बेहाल हुई क्षेत्र की जनता अब बड़े आंदोलन की तैयारी में जुट गई है। इसके साथ ही जन प्रतिनिधियों का बहिष्कार करने के साथ ही आंदोलन किया जायेगा। विकास संघर्ष समिति के सचिव सलेक भइया ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को पलीता लगाते हुए मुरादनगर क्षेत्र के गांवों (शाहपुर, मथुरापुर, बहादुरपुर, मकरैड़ा, भिक्खनपुर /जगजीवन पुर, महमूदाबाद) की भूमि में नगर निगम गाजियाबाद द्वारा शहर का कूड़ा प्रतिदिन 400-500 वाहनों के माध्यम से अनुचित तरीके (बिना किसी उचित व्यवस्था) लगभग डेढ़ वर्ष से डम्प किया जा रहा है। साथ ही कूड़े का निस्तारण वैज्ञानिक तरीके से न होने के कारण कूड़े के पहाड़ बन चुके हैं। इस कारण ग्रामीण जनता वायु एवं जल प्रदूषण से प्रभावित होकर अनेकों बीमारियों से ग्रस्त हो चुकी है एवं भारी संख्या में हैवी वाहनों के आवागमन से स्थानीय सड़कें/ कच्चे रास्ते पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिससे हर समय धूल ही धूल उड़ती रहती है, जिससे आम जन का इन रास्तों पर चलना दुश्वार हो गया है एवं आये दिन कोई न कोई व्यक्ति दुर्धटना का शिकार होता रहता है। सलेक भइया ने बताया कि इस समस्या से निजात पाने के लिए ग्रामीण जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे संगठन विकास संघर्ष समिति गाजियाबाद के नेतृत्व में केन्द्र सरकार, उत्तर प्रदेश शासन, क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों (विधायक एवं सांसद) तथा जिला प्रशासन से प्रतिनिधि मंडल के साथ प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से गुहार लगा चुकीं हैं। साथ ही केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भारत सरकार, पर्यावरण एवं वन मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्ली, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ, क्षेत्रीय कार्यालय उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित अन्य स्तरो पर भी उक्त विकट समस्या से निजात दिलाने हेतु प्रार्थना पत्र के माध्यम से अनेकों बार अवगत करा चुकी है, लेकिन लगभग पांच माह से प्रयासरत क्षेत्रीय ग्रामीणो की ज्वलंत समस्या का समाधान सम्भव नहीं हो पाया है। विकास संघर्ष समिति के सचिव सलेक भइया ने कहा कि अन्तत: किसी भी स्तर से कोई कार्यवाही नहीं होने के कारण ग्रामीणों को आंदोलन के लिए विवश होना पड़ रहा है। इसी सन्दर्भ में अगले सप्ताह प्रभावित 12 गांवों की ग्रामीण जनता ‘ग्रामीण पंचायत’ कर आन्दोलन की रणनीति तैयार करने की तैयारी की जा रही है। पंचायत में, धरना- प्रदर्शन एवं जनप्रतिनिधियों के कार्यक्रमों का बहिष्कार करने के साथ ही पद यात्रा सहित अन्य गांधी वादी तरीकों से आंदोलन पर विचार किया जायेगा।