- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी जिलाधिकारियों को एक माह की दी मोहलत
- सीएम ने बैठक में जेबीसी की तैयारियों को लेकर दिये आवश्यक दिशा निर्देश
- निवेश संबंधी रिपोर्ट कार्ड में मिली गड़बड़ी तो होगा सख्त एक्शन
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के बाद अब ग्रांउड ब्रेकिंग सेरेमनी (जेबीसी) की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इसको लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों से एक माह के अंदर निवेश संबंधी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने सभी जिलाधिकारी और मंडलायुक्त को निवेश संबंधी समीक्षा बैठक कर हर स्तर पर जवाबदेही तय करने के निर्देश भी दिये हैं ताकि जेबीसी के जरिये ज्यादा से ज्यादा निवेश प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारा जा सके। मालूम हो कि जीआईएस-23 में प्रदेश को 36 लाख करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। इस दौरान प्रदेश के सभी 75 जिलों में निवेशकों ने इन्वेस्टमेंट के लिए रुचि दिखाई थी।
जिलाधिकारी निवेशकों के साथ करें वन टू वन बैठक
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उच्च स्तरीय बैठक में सभी जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को निवेशकों को निवेश के लिए जमीन उपलब्ध कराने के लिए लैंड बैंक पर फोकस करने को कहा है। उन्होंने कहा कि जीआईएस-23 की तरह जेबीसी को भव्य रूप देने के लिए सभी पारदर्शिता से काम करें और पैंडेंसी को जल्द से जल्द खत्म करें। सीएम ने कहा कि वर्तमान में निवेश के लिए प्रदेश में सबसे बढ़िया माहौल है। प्रदेश के छोटे से छोटे जिलों मीरजापुर, कासगंज, महराजगंज, संत रविदास नगर, बलरामपुर, हाथरस, अयोध्या, गोंडा, बाराबंकी और सुल्तानपुर को भी बड़े निवेश प्रस्ताव मिले हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री ने तहसील स्तर पर छोटे-बडे़ सभी निवेशकों से संवाद बनाते हुए उन्हें निवेश के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहा है, क्योंकि यह रोजगार सृजन का बड़ा माध्यम हैं। इसे ध्यान में रखते हुए वह सभी निवेशकों से वन टू वन बैठक करने और उनकी समस्या के साथ निवेश बैरियर को हटाने के लिए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को एक माह के अंदर निवेश संबंधी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को प्रस्तुत करने को कहा है। उन्होंने कहा कि वह खुद रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे। इस दौरान लापरवाही मिलने पर सख्त एक्शन लेने की बात भी सीएम ने कही है।
लंबित आवेदनों को जल्द से जल्द करें निस्तारित
बैठक में अधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष धारा-80 (कृषिक भूमि का गैर कृषिक भूमि में परिवर्तन) की रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें बताया गया कि जीआईएस-23 के बाद प्रदेश में कृषिक भूमि को गैर कृषिक भूमि में परिवर्तित करने के आवेदनों में तेजी आयी है। अब तक प्रदेश के विभिन्न जिलों से 42,706 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से 36,327 आवेदन को निस्तारित किया जा चुका है, जिसका रेश्यो 85 प्रतिशत है। वहीं अभी तक कुल 6388 आवेदन लंबित हैं। इनमें से लंबित 1224 आवेदन तय समय सीमा 45 दिन के अंदर के हैं जबकि लंबित 5121 आवेदन तय समय सीमा के बाद के हैं। मालूम हो कि कृषि भूमि का गैर कृषिक भूमि में परिवर्तन के लिए 45 दिन की समय सीमा निर्धारित की गयी है और इसका निस्तारण उपजिलाधिकारी स्तर पर किया जाता है। इसी तरह निवेशकों ने निवेश मित्र पोर्टल के माध्यम से 1017 आवेदन पत्र दिये। इनमें से 904 आवेदनों को निस्तारित किया जा चुका है, जिसका रेश्यो 89 प्रतिशत है। वहीं 113 आवेदन लंबित हैं। इनमें से लंबित 104 आवेदन तय समय सीमा के अंदर के हैं जबकि 9 लंबित आवेदन तय समय सीमा के बाद के हैं। इनमें कुशीनगर में 2, बहराइच, बाराबंकी, बुलंदशहर, लखनऊ, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और सीतापुर में एक-एक आवेदन लंबित हैं। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लंबित मामलों को प्राथमिकता के आधार से जल्द से जल्द निस्तारित करने के निर्देश दिये हैं।