Dainik Athah

बकाये से निबटने के बाद अब गन्ने की उपज बढ़ाने पर योगी सरकार का जोर

अथाह ब्यूरो
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश के करीब 46 लाख गन्ना किसानों का हित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपने पहले कार्यकाल से ही सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। दूसरे कार्यकाल में भी यह सिलसिला उसी शिद्दत से जारी है। बस जरूरत के अनुसार प्राथमिकताएं बदल रही हैं। बकाए, मिलों के संचालन की व्यवस्था को दुरूस्त करने के बाद सरकार का जोर अब गन्ने की खेती को और लाभप्रद बनाने पर है। यह तभी संभव है जब खेती की लागत कम हो। प्रति हेक्टेयर उपज बढ़े। इसमें समय पर कृषि निवेश की उपलब्धता एवं सिंचाई के अपेक्षाकृत दक्ष संसाधनों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।

फसल की तैयारी तक लगता है 1500-2500 मिलीमीटर पानी
उल्लेखनीय है कि गन्ना साल भर की फसल है। इसके तैयार होने में कृषि जलवायु क्षेत्र में होने वाली वर्षा के अनुसार 3 से 7 बार पानी की जरूरत पड़ती है। एक अनुमान के मुताबिक गन्ने की फसल को 1500 से 2500 मिलीमीटर पानी की जरूरत होती है। प्रति किलोग्राम गन्ना उत्पादन में 1500 से 3000 हजार लीटर पानी की जरूरत होती है। यह तब है जब किसान खेत की परंपरागत रूप से तालाब, पोखर, नलकूप, पंपिगसेट से सिंचाई करते हैं। इस विधा से सिंचाई में आधा से अधिक पानी बर्बाद हो जाता है। अगर खेत की लेवलिंग सही नहीं है तो कहीं कम और कहीं अधिक पानी लगने से फसल को होने वाली क्षति अलग से।

ड्रिप इरीगेशन से आधे से कम पानी की होगी जरूरत
ड्रिप इरीगेशन (टपक प्रणाली) से कम समय मे हम फसल को जरूरत भर पानी देकर पानी की बबार्दी के साथ सिंचाई की लागत भी बढ़ा सकते हैं। यही वजह है कि सरकार का ड्रिप एवं स्प्रिंकलर विधा से सिंचाई पर खासा जोर है। इसके लिए योगी सरकार लघु सीमांत किसानों को तय रकबे के लिए 90 फीसद एवं अन्य किसानों को 80 फीसद तक अनुदान देती है।

ड्रिप के लिए योगी सरकार देगी 20 फीसद ब्याज मुक्त अनुदान
इसी क्रम में गन्ना विभाग ने भी एक पहल की है वह ड्रिप इरीगेशन से आच्छादन के लिए किसानों को 20 फीसद ब्याज मुक्त ऋण देगी। इसकी अदायगी गन्ना मूल्य भुगतान से हो जाएगी। यह ऋण किसानों को चीनी मिलें एवं गन्ना विकास विभाग उपलब्ध कराएगा। इससे प्रदेश के 90 फीसद से अधिक गन्ना उत्पादक किसानों को लाभ मिलेगा। यह किसानों का वही वर्ग है जो चाहकर भी संसाधनों की कमीं की वजह से खेती में यंत्रीकरण का अपेक्षित लाभ नहीं ले पाता। लिहाजा अधिक श्रम एवं संसाधन लगाने के बावजूद उसे कम लाभ होता है।

पानी के साथ खाद का भी बचेगा खर्च
ड्रिप इरीगेशन के कई लाभ हैं। पानी की बचत के अलावा किसान इसीसे सीधे पौधों की जड़ों में पानी में घुलनशील उर्वरकों (वाटर सॉल्यूबल फटीर्लाइजर्स) भी दे सकते है। इस तरीके से खाद के पोषक तत्त्वों की अधिकतम प्राप्ति से गन्ने की उपज भी बढ़ेगी। मसलन सिंचाई एवं इसे करने में श्रम की बचत, कम खाद के प्रयोग में बेहतर उपज होगी। लिहाजा खेती की घटी लागत एवं बढ़ी उपज से किसानों की आय बढ़ेगी। यही योगी सरकार की मंशा भी है। इस बाबत हाल ही में यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन और विश्व बैंक के संसाधन समूह (2030 डब्लू आरजी) के बीच एक मेमोरंडम आॅफ अंडरस्टैंडिंग भी हो चुकी है

किसान समय से कृषि निवेश लें सकें इस बाबत गन्ना विकास कोष बनाएगी सरकार
इसी तरह खेत की तैयारी से लेकर बोआई और उससे आगे गन्ना किसानों के लिए संसाधन बाधक बनें इस बाबत सरकार ने गन्ना विकास कोष स्थापित करने का भी निर्णय लिया है। इसमें भी नाबार्ड की तरह 10.70। इस पर 3.70 फीसद की छूट भी होगी। ये ऋण उन लघु सीमांत किसानों को मिलेगा जो गन्ना समितियों में रजिस्टर्ड होंगी।

6 साल में दो लाख दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान
मार्च 2017 में जब योगी ने सूबे की कमान संभाली थी तब गन्ने का बकाया, संचलन में चीनी मिलों की मनमानी गन्ना किसानों की मुख्य समस्या थी। चूंकि इसकी खेती से लाखों किसान परिवार जुड़े हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों की प्रमुख फसल ही गन्ना है। लिहाजा गन्ना मूल्य के बकाए पर ही कुछ लोगों की राजनीति चलती थी। मिलों की मनमानी से खेत में गन्ना जलाना आम बात थी। बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में गन्ना किसानों के भुगतान पर फोकस किया। नतीजन गन्ना किसानों को रिकॉर्ड भुगतान हुआ। पहले कार्यकाल और दूसरे कार्यकाल के एक साल पूरा होने पर इस बाबत जारी आकड़ों के मुताबिक गन्ना किसानों को दो लाख दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। यह खुद में एक रिकॉर्ड है। सरकार की ओर से मिलर्स को साफ निर्देश है कि जब तक किसानों के खेत में गन्ना है तब तक मिलें बंद नहीं होंगी। इसके अलावा भुगतान की समयावधि भी तय की गई और आॅनलाइन पेमेंट के जरिए इसे पारदर्शी भी बनाया गया।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *