- एक माह से चला आ रहा मलमास होगा समाप्त
- विवाह , गृह प्रवेश आदि होंगे आरंभ
14 अप्रैल 2023 को सूर्य मेष राशि में प्रवेश कर रहे हैं। मेष राशि राशियों में सबसे पहली राशि है। और मेष राशि को सूर्य की उच्च राशि का दर्जा प्राप्त है ।कुंडली में सूर्य उच्च अथवा मेष राशि का होता है तो व्यक्ति प्रतिभाशाली और महत्वकांक्षी होता है।
14 अप्रैल को सूर्य मेष संक्रान्ति में लगभग 3:00 बजे आकर मल मास की समाप्ति करेंगे।
गत 1 माह से सूर्य मीन राशि में चल रहे थे ।जिसमें शुभ मुहूर्त विवाह ,गृह प्रवेश ,नींव पूजन आदि शुभ मुहूर्त बन्द थे । सूर्य की सक्रांति जब मेष राशि आती है तो मलमास समाप्त होकर शुभ कार्य आरंभ हो जाते हैं।
2 मई तक नहीं होंगे शुभ कार्य
14 अप्रैल को यद्यपि सूर्य मेष राशि में आ जाएंगे और शुभ कार्य के शुभारंभ करेंगे। लेकिन वर्तमान में गुरु अस्त चल रहे हैं और गुरु या शुक्र अस्त की अवधि में शुभ कार्यों का मुहूर्त नहीं होता। इसलिए 30 अप्रैल को बृहस्पति उदय होंगे। उसके पश्चात 3 मई से सभी शुभ कार्य जैसे विवाह ,गृहारंभ मुहूर्त,नींव पूजन ,गृह प्रवेश आदि कार्य आरंभ हो जाएंगे।
जब मेष सक्रांति में सूर्य प्रवेश करते हैं तो यह सूर्य का उत्सव होता है। इस दिन विशेष रूप से सूर्य भगवान की पूजा करनी चाहिए । प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शुद्ध होकर
गायत्री मंत्र का जाप करें अथवा आदित्य हृदय स्तोत्र, सूर्य चालीसा का पाठ करें।
भगवान सूर्य को निमित्त रोली, अक्षत, पुष्प, मिष्ठान, दूध, दही शहद गंगाजल आदि से पूजन करें।
मेष सक्रांति में गंगा स्नान करने का भी बहुत बड़ा महत्व है। लाखों भक्तगण गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान करते हैं ।यदि आपको गंगा अथवा तीर्थ स्थान में जाने का अवसर न मिले तो घर पर ही स्नान वाले जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करें तो वही पुण्य फल प्राप्त होता है।
सूर्य पिता का कारक है। जन्म कुंडली में सूर्य की निर्बलता के कारण आत्मबल की कमी होती है। निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती है। धैर्य नहीं रहता। ऐसे में अपने पिता व पिता तुल्य लोगों का सम्मान करें ।उन्हें उपहार दें ।लाल वस्तुएं फल ,सेब, अनार, चुकंदर ,टमाटर ,बदाम सेव,अनार आदि का दान करके सूर्य की निर्बलता को दूर किया जा सकता है। शास्त्रों के अनुसार मेष राशि में सूर्य आने से गर्मी की प्रचंडता बढ़ने लगती है ।सूर्य इन दिनों अपने प्रचंड रूप में आकर मेष और वृषभ के सक्रांति अर्थात 15 अप्रैल से 15 जून तक अपनी विशिष्ट किरणों के द्वारा गर्मी का फैलाव करता है ।जिस कारण समुद्र में मानसून बनने की प्रक्रिया तैयार होती है। वर्ष भर की वर्षा व अन्नादि का कारण मेष सक्रांति ही है।
आचार्य शिवकुमार शर्मा, आध्यात्मिक गुरु ज्योतिषाचार्य गाजियाबाद।