- निकाय चुनाव का बिगुल बजने के बाद बढ़ने लगी सरगर्मी
- निवृतमान महापौर पर फिर से दांव लगाने के मूड में नहीं भाजपा
- चेहरा बदलने की चर्चा के साथ नये दावेदारों के चेहरों पर दिखने लगी रौनक
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। निकाय चुनाव का बिगुल बजने के बाद अब गाजियाबाद नगर निगम महापौर पद के लिए दावेदारों ने खम ठोंकना शुरू कर दिया है। यह खबर फिजां में गूंजने के बाद कि गाजियाबाद में भाजपा नये चेहरे को सामने ला सकती है दावेदारों के चेहरों पर रौनक नजर आने लगी है।
बता दें कि गाजियाबाद नगर निगम चुनाव 11 मई को दूसरे चरण में होंगे। उम्मीदवारों के नामों की घोषणा 20 अप्रैल के आसपास होने की उम्मीद है। लेकिन सोमवार को एक न्यूज चैनल ने सुबह ही खबर चला दी कि भाजपा अपने 14 में से 11 महापौर के टिकट काटेगी। इसमें गाजियाबाद महापौर आशा शर्मा का नाम भी प्रमुखता से है जिनके टिकट कटने हैं। इसके बाद उन लोगों के चेहरे पर चमक नजर आने लगी है जो अब तक यह सोच रहे थे कि निवतृमान महापौर आशा शर्मा दौड़ में सबसे आगे हैं। इस खबर के बाद आशा शर्मा के खेमे में भी बेचैनी नजर आने लगी हैं। इतना ही नहीं आशा शर्मा ने अपनी पैरोकारी के लिए दिल्ली से लेकर लखनऊ तक की दौड़ शुरू कर दी है।
अब यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि भाजपा किसे मौका दे सकती है। इस लिहाज से प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष सुनीता दयाल का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है। सुनीता दयाल ने कभी पार्टी भी नहीं बदली। इसके साथ ही यदि प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष पद छोड़ दें तो उन्हें खुश खास मिला भी नहीं है। उनका नाम आगे आने के पीछे का एक कारण उनके समधी जो नोएडा महानगर भाजपा अध्यक्ष है प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के खास लोगों में गिने जाते हैं। यहीं कारण है कि सुनीता दयाल का नाम सबसे आगे लिया जा रहा है। सुनीता दयाल के नाम को सूत्र बताते हैं कि गाजियाबाद के एक विधायक का समर्थन हासिल नहीं है। इसका कारण यह है कि एक ही बिरादरी में किसी के नेता बनने से उसी बिरादरी के स्थापित लोगों को परेशानी होती है।
इसके साथ ही महिला मोर्चा की क्षेत्रीय टीम में शामिल समाजसेवी उदिता त्यागी के लिए त्यागी समाज लामबंद हो रहा है। उदिता त्यागी अखिल भारतीय ब्रह्म ऋषि महासंघ की महासचिव भी है। प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में भी उनकी पकड़ मानी जाती है। समाज के लोग कहते हैं कि उदिता त्यागी का एक विजन है जो गाजियाबाद शहर में बदलाव करेगा।
इसके साथ ही भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष मयंक गोयल की पत्नी रूचि और वरिष्ठ कार्यकर्ता संजय कुशवाहा की पत्नी रूचि का नाम भी प्रमुख दावेदारों में शामिल है। हालांकि दावेदारों की सूची लंबी है, अब भी कुछ पुरुष नेता अपनी- अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाने की तैयारी में है। वहीं पार्टी के कुछ जनप्रतिनिधि चाहते हैं कि महापौर ऐसा हो जो उनकी जेब का हो। लेकिन भाजपा में ऐसा कुछ संभव होने वाला नहीं है।