Dainik Athah

डम्पिंग ग्राउंड बनकर रह गई जीडीए की ‘वर्किंग वुमन हास्टल की भूमि’

जीडीए की उपेक्षा का दंश झेल रही करोड़ो की लागत से बनी बिल्डिंग।

कामगार महिलाओं के लिए बनी इमारत रिक्शा चालकों का आरामगृह।

अथाह संवाददाता, गाजियाबाद। नेहरू नगर द्वितीय में नरेंद्र मोहन हास्पीटल और जीडीए आफिसर्स कालोनी के बीच (पंजाब नेशनल बैंक के सामने) एक बड़ी बहुमंजिली इमारत ऊंचे पेड़ों के बीच छुपी है ,जो बाहर से  कूड़ाघर लगती है। उसके बाहर रिक्शे वालों ने कब्जा कर अपना स्टोर बना रखा है। यह इमारत और उसका परिसर भी अब  रिक्शेवालों की जन सुविधाओं के काम आ रहा है।

 बतादें कि करोड़ो की लागत से जीडीए द्वारा निर्मित यह बिल्डिंग कभी शान से सिर ऊंचा कर खड़ी थी  जीडीए ने इसे कभी ‘कामगार महिला हास्टल’ ( वर्किंग वुमन हास्टल) के लिए बनाया था।

जिसमें केयरटेकर और स्टाफ भी था। जीडीए और उद्योग नगरी में बाहर से काम पर आने वाली महिलाओं को शहर में कभी आपात स्थिति में रूकने पर परिचय- पत्र  दिखाने पर निश्चित समय तक रूकने की सुविधा थी। इसके ठीक सामने वह उजाड़  पार्क है जो कभी जीडीए ने पत्रकारों को ‘प्रेस क्लब’ के लिए आवंटित किया था।

जब वहां पत्रकार इकट्ठा होते थे तो इसी वर्किंग वुमन हास्टल से वहां का स्टाफ कुर्सियां लाकर डाल देता था और पत्रकारों के जाने के बाद वह अपनी कुर्सियां वापस हास्टल ले जाते थे।   उस समय यह बिल्डिंग  बड़ी साफ-सुथरी रहती थी । रात्रि में भी वहां पूरी लाइटिंग रहती थी। यह तो पता नहीं कभी यह बिल्डिंग कामगार महिलाओं के काम आयी या नहीं परन्तु जीडीए की खाली पडी हर बिल्डिंगों की तरह से इसमें भी जीडीए स्टाफ के माध्यम से  चहल-पहल नजर आती थी।

हमेशा गुलजार रहने वाली यह इमारत कब बीरान हो गई पता ही नही चला।यह भी पता नहीं कब यहां से  बोर्ड और स्टाफ हटा दिया गया तथा इतनी बड़ी बिल्डिंग ऐसे ही उपेक्षित कर दी गयी। यह भी पता नहीं जीडीए के वर्तमान अधिकारियों की जानकारी में भी यह अपनी बिल्डिंग है या नहीं।

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