Dainik Athah

2024- निकाय चुनाव को ध्यान में रखकर ही भाजपा में होगा बदलाव

फेरबदल में हो रही देरी को लेकर

संगठन की परीक्षा भी होंगे दोनों चुनाव

टूटने लगा भाजपा नेताओं का सब्र, कार्यक्रमों पर पड़ने लगा असर

विधानसभा सत्र के दौरान फेरबदल नहीं हुआ तो होली के बाद तक करना होगा इंतजार

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह एवं प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह नहीं लगने दे रहे बदलाव की भनक

अशोक ओझा
लखनऊ।
भारतीय जनता पार्टी के संगठन में बदलाव में हो रही देरी से अब भाजपा पदाधिकारियों के साथ ही नेताओं का सब्र जवाब देने लगा है। इसका असर संगठन के काम पर भी पड़ने लगा है। स्थिति यह है कि संगठन के आला नेताओं को भी यह भनक नहीं लगने दी जा रही है कि आखिर कितना बड़ा बदलाव प्रदेश और जिलों में होगा। हालांकि करीब 40 से 50 फीसद बदलाव की बात सामने आ रही है।

भाजपा संगठन में बदलाव की बात तो राष्टÑीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल 2024 तक बढ़ने के बाद से ही यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि राष्टÑीय संगठन में बदलाव के बाद राज्यों के संगठन में भी बदलाव देखने को मिलेगा। नड्डा का कार्यकाल बढ़ने के बाद से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी दिल्ली के कई दौरे कर चुके हैं। पिछले दिनों उन्होंने कई दिनों तक दिल्ली में प्रवास किया था। इसके बाद से ही यह उम्मीद थी कि बदलाव जल्द होगा। स्वयं भूपेंद्र सिंह ने भी बदलाव की बात तो कही थी, लेकिन साथ ही उन्होेंने कहा था कि बदलाव छोटा होगा। दूसरी तरफ भरोसेमंद सूत्र बड़े बदलाव की बात कहते हैं।

सूत्रों के अनुसार आगामी निकाय चुनाव के साथ ही 2024 के चुनाव पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह के साथ ही प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह की नजर है। ये दोनों ही चुनाव इन दोनों के लिए परीक्षा है। दोनों चुनावों में बंपर जीत हासिल होने पर दोनों का कद ही नहीं ताकत भी बढ़ेगी, लेकिन थोड़ी भी ऊंच नींच उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े हो जायेंगे। यहीं कारण है कि दोनों फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं। दोनों की रणनीति यह है कि बदलाव से पहले किसी प्रकार की फालतू अफवाह न चले।
सूत्रों की मानें तो बदलाव की रूपरेखा पूरी तरह से तैयार हो चुकी है। सबकुछ तय हो चुका है, इंतजार है तो बस सही समय का। यह सही समय बजट सत्र के दौरान का भी हो सकता है। हालांकि राजनीति के जानकार यह मानते हैं बजट सत्र के दौरान भूपेंद्र सिंह बदलाव शायद न करें। इसका कारण यह है कि इस समय पूरे प्रदेश के विधायकों के साथ ही प्रदेश के अधिकांश पदाधिकारी भी राजधानी में है। यदि बदलाव मनमाफिक न हो तो कुछ लोग मीडिया में सवाल खड़े कर सकते हैं। इसके साथ ही वे विरोधी दलों को भी कोई अवसर नहीं देना चाहेंगे। इसी कारण बदलाव होली के बाद तक जा सकता है। लेकिन प्रदेश कमेटी में बड़े बदलाव के साथ ही जिलों में 40 से 50 फीसद बदलाव की बात कही जा रही है। लेकिन निकाय चुनाव और 2024 को देखते हुए क्या इतना बड़ा बदलाव हो सकेगा इसमें संशय है।

बदलाव चाहे जब हो, लेकिन बदलाव में देरी का असर संगठन के कामों पर भी नजर आने लगा है। जिन लोगों के पास इस समय जिम्मेदारी है उनके मन में कहीं न कहीं यह है कि पता नहीं वे रहेंगे अथवा जायेंगे। ऐसे में क्यों कमर तोड़ मेहनत की जाये।

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