Dainik Athah

डीएम- एसपी को भी आरोपित करना चाहिये: मनोज पांडेय

कानपुर देहात की घटना मानवता के लिए शर्मशार करने वाली


अथाह ब्यूरो
लखनऊ
। समाजवादी विधानमंडल दल विधानसभा उप्र के मुख्य सचेतक मनोज पाण्डेय ने कानपुर देहात में मां- बेटी की जलकर हुई मौत की घटना को मानवता के लिए शर्मसार करने वाला बताते हुए कहा कि कोरे आश्वासनों से पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिलेगा। भाजपा सरकार को इस कांड में जिलाधिकारी तथा एसपी को भी आरोपित करना चाहिए। पीड़ित परिवार को पांच करोड़ रुपए तथा दो सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र भी संवेदना प्रकट करते समय दिए जाने चाहिए।

मनोज पाण्डेय ने कहा कि इस अमानवीय घटना में लेखपाल, गरीब ड्राइवर और पुलिस के छोटे कर्मचारियों को एफआईआर में नामित किया गया है। क्या बुलडोजर चालक स्वयं कुछ कर सकता है? वहां एसडीएम और दूसरे अधिकारी थे जिनके सामने अमानवीय कृत्य हुआ। भाजपा का बुलडोजर गरीबों के लिए काल बन गया है।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने 14 फरवरी को कानपुर देहात की घटना की जानकारी एवं पीड़ित परिजनों से भेंट करने के लिए सपा का प्रतिनिधिमण्डल भेजा था जिसमें विधायक अमिताभ बाजपेयी, विनोद चतुवेर्दी, प्रदीप यादव, मोहम्मद हसन रूमी एवं राम प्रकाश कुशवाहा तथा कमलेश दिवाकर पूर्व विधायक, प्रमोद यादव निवर्तमान जिलाध्यक्ष सपा शामिल थे। पाण्डेय ने कहा कि लज्जा की बात तो यह है कि जब सपा का प्रतिनिधिमंडल घटना की जांच करने और पीड़ित परिवार से संवेदना जताने जा रहा था उसे कई जगह रोका गया। कई विधायकों को रोका गया तो वे सब धरने पर विरोध में बैठ गए। प्रशासन घटना को छुपाने में लगा है।

उन्होंने कहा लोकतांत्रिक देश में संविधान राजस्व संहिता है। परिवार न्याय के लिए तीन बार डीएम के यहां गया। दूसरे अधिकारियों से गुहार लगाई। बेटे ने धरना दिया तो उसके विरूद्ध हिस्ट्रीशीट खुलवाने की धमकी दी गई। राजस्व संहिता के अनुसार गांव समाज की जमीन पर कब्जे की स्थिति में पहले नोटिस दी जाती है, दूसरे पक्ष को भी सुना जाना है। पर यहां तो परिवार के अंदर रहते हुए भी उनकी झोपड़ी में आग लगाए जाने का आरोप है। मां-बेटी उसमें जलकर मर गई। बेटी एलएलबी की पढ़ाई कर रही थी।

मनोज पाण्डेय ने कहा कि कानपुर देहात की तरह और भी घटनाएं घट चुकी है। थोड़े दिन पहले बलवंत सिंह की कानपुर पुलिस हिरासत में मौत हुई। कन्नौज में अरुण शाक्य की हत्या की गई। बाराबंकी में तीरथ पाल की बुलडोजर कार्रवाई के दौरान सदमे से मौत। ललितपुर में एक दलित युवक मारा गया। रायबरेली में रोहित पासी को मजदूरी मांगने पर मारा गया। गाजियाबाद में आॅटो ड्राइवर की पुलिस पिटाई से मौत हुई।

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