Dainik Athah

जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित बच्चों की होगी नि: शुल्क शल्य चिकित्सा: ब्रजेश पाठक

ह्रदय रोग से ग्रसित बच्चों के उपचार के मामले में प्रदेश सरकार का बड़ा निर्णय

  • प्रदेश में जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित बच्चों की नि: शुल्क शल्य चिकित्सा हेतु राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उप्र एवं श्री सत्य सांई संजीवनी इंटरनेशनल सेंटर फॉर चाइल्ड हर्ट केयर एंड रिसर्च, पलवल के मध्य लखनऊ में एमओयू हुआ हस्ताक्षरित

    अथाह ब्यूरो
    लखनऊ।
    प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की पहल पर अब प्रदेश में जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित बच्चों की नि:शुल्क शल्य चिकित्सा की जायेगी। इस संबंध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उप्र द्वारा श्री सत्य सांई संजीवनी इन्टरनेशनल सेन्टर फार चाइल्ड केयर एण्ड रिसर्च पलवल के साथ एक एमओयू हस्ताक्षरित किया गया है। इस एमओयू के हस्ताक्षरित होने के उपरांत प्रदेश के हृदय रोग से ग्रसित बच्चों को नि:शुल्क शल्य चिकित्सा सुविधा प्रदान किया जाना सुनिश्चित किया जाएगा। बच्चों के हृदय रोग की शल्य चिकित्सा हेतु श्री सत्य साई संजीवनी इंटरनेशनल सेंटर फॉर चाइल्ड हर्ट केयर एण्ड रिसर्च, पलवल देश का एक प्रतिष्ठित संस्थान है।
    इस अवसर पर प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि देश के सबसे बड़े राज्य में जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित बच्चों की शल्य चिकित्सा का सुनिश्चित करना बड़ा दायित्व है। इस नई पहल के साथ स्वास्थ्य विभाग के कुशल प्रबंधन से यह कार्यक्रम बच्चों को एक स्वस्थ जीवन देने में सहायक होगा।
    एमओयू हस्तांतरण कार्यक्रम के अवसर पर मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अपर्णा उपाध्याय ने कहा कि प्रदेश में जन्मजात बीमारियों से बाल मृत्यु दर को कम करने की दिशा में तेजी से कदम उठाए गए हैं। इसी क्रम में हस्ताक्षरित एमओयू के उपरांत प्रदेश के हृदय रोग से ग्रसित बच्चों को नि:शुल्क उत्कृष्ट चिकित्सकीय सुविधाएं प्राप्त होंगी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा व्यापक रूप से किए गए एकीकृत उपायों के फलस्वरूप बाल स्वास्थ्य में निरंतर तेजी से सुधार हो रहा है।
    महाप्रबंधक बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) डा. मनोज कुमार शुक्ल ने कहा कि एमओयू के हस्ताक्षर होने से प्रदेश में हृदय रोग से ग्रसित बच्चों को शीघ्र चिकित्सकीय उपचार प्राप्त होंगे और इलाज से लंबित बच्चों को नि:शुल्क चिकित्सकीय सुविधाएं प्राप्त हो सकेंगी। उनके द्वारा मीडिया के माध्यम से आम जन से अपील भी की गई कि विद्यालयों में भ्रमण के दौरान लोग आरबीएसके टीम से अपने बच्चों की जांच सुनिश्चित कराएं ताकि बच्चों की बीमारियों का चिन्हीकरण किया जा सके और उन्हें आवश्यक चिकित्सकीय उपचार प्रदान किए जा सके।
    गौरतलब है कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) कार्यक्रम में जन्म से अठारह वर्ष तक के बच्चों की स्वास्थ्य जांच शामिल है। स्वास्थ्य जांच में चार श्रेणियों में जन्मजात रोग, कमियां, बीमारियां, विकास में देरी में श्रेणीबद्ध रोगों की जांच, रोगों की शीघ्र पहचान, बीमार बच्चों का प्रबंधन, निशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के साथ तृतीयक स्तर पर सर्जरी भी शामिल है। इन चार श्रेणियों में श्रेणीबद्ध रोगों को 4 डी के नाम से भी जाना जाता है। जन्म से लेकर छह वर्ष की आयु वर्ग के लिए प्रबंधन विशेषकर डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (डीईआईसी) पर किया जाता है जबकि छह से अठारह वर्ष की आयु वर्ग के लिए स्थितियों का प्रबंधन सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से किया जाता है। डीईआईसी दोनों आयु वर्ग के लिए रेफरल लिंक के रूप में भी कार्य करता है।

हेल्थ टीम द्वारा जांच स्थलों पर स्वास्थ्य परीक्षण के उपरांत आवश्यक दवाइयां एवं स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जाते हैं। रोग ग्रसित बच्चों को आवश्यकतानुसार चिकित्सालयों में रेफर किया जाता है।

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