2023 की शुरुआत से ही भाजपा चुनावों के लिए कसेगी कमर
राष्टÑीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष देंगे संगठन को टिप्स, कसेंगे पेच
2 व 3 जनवरी को लखनऊ में करेंगे समीक्षा बैठक
जनवरी के पहले सप्ताह के अंत में गोवा में होनी है समन्वय बैठक
अशोक ओझा
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश के नेताओं के लिए लगता है नया साल चुनौतियों से भरा हो सकता है। साल 2023 प्रदेशभर के संगठन पदाधिकारियों के लिए शुभ संकेत लेकर नहीं आ रहा। साल के दूसरे ही दिन जिस प्रकार राष्टÑीय महामंत्री संगठन दो दिन के उत्तर प्रदेश प्रवास पर आ रहे हैं उसने संगठन पदाधिकारियों के साथ ही सरकार के मंत्रियों की चिंता को बढ़ा दिया है।
बता दें कि राष्टÑीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष दो दिन के यूपी प्रवास पर गोवा में होने वाली समन्वय बैठक से ठीक पहले आ रहे हैं। वे दो एवं तीन जनवरी को लखनऊ में रहेंगे। इस दौरान दो जनवरी को प्रदेशभर के भाजपा जिला- महानगर अध्यक्षों के साथ तो बैठक करेेंगे ही साथ ही प्रदेश पदाधिकारियों के साथ भी बैठक करेंगे। इसके साथ ही उम्मीद है कि मुख्यमंत्री एवं भाजपा संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक कर संगठन एवं सरकार में तालमेल को लेकर भी चर्चा करने के साथ ही समीक्षा भी करेंगे। यह भी बता दें कि उनका आगमन गोवा में जनवरी के पहले सप्ताह के अंत में होने वाली राष्टÑीय स्वयं सेवक संघ की समन्वय बैठक से ठीक पहले हो रहा है। समन्वय बैठक में भाजपा का प्रतिनिधित्व बीएल संतोष ही करेंगे। संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत की मौजूदगी में यह समन्वय बैठक होगी। इसमें संघ एवं भाजपा के साथ ही विहिप समेत सभी अनुषांगिक संगठनों के शीर्ष पदाधिकारी मौजूद रहेंगे।
बता दें कि 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री के मन की बात सुनने के लिए गाजियाबाद आये भाजपा के राष्टÑीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी से आधा घंटे से अधिक समय तक एकांत में लंबी चर्चा की थी। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में निकाय चुनावों के साथ ही खतौली विधानसभा उप चुनाव में हुई पार्टी की हार प्रमुख मुद्दा थी। इसके साथ ही प्रदेश संगठन में बदलाव को लेकर भी चर्चा रही है। खतौली में हार से भाजपा के प्रदेशस्तर के नेताओं के संबंध में भी यह माना जा रहा है कि उनकी पकड़ उतनी मजबूत नहीं है जितनी होनी चाहिये।
अब बीएल संतोष के साल के शुरूआत में ही लखनऊ के दो दिन के प्रवास पर यूपी आने से एक बार फिर संगठन में बदलाव को लेकर तो बात कही ही जा रही है, साथ ही उप चुनाव में खतौली की हार, निकाय चुनाव की स्थिति एवं सरकार के साथ संगठन के तालमेल को लेकर भी चर्चा होगी। उनका साल के प्रारंभ में ही प्रदेश के दौरे पर आने के निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व के प्रयास के बावजूद प्रदेश में भाजपा एवं सरकार में उस प्रकार का तालमेल नहीं है जैसा केंद्र चाहता है। इसके साथ ही केंद्र एवं भाजपा के साथ ही संघ का पूरा ध्यान अभी से ही 2024 की तैयारियों में जुटने का है। यह माना जा रहा है कि 2024 के चुनाव में अब एक साल ही बचा है, ऐसे में भाजपा यूपी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।