अथाह सवांददाता
गाजियाबाद। आरआरटीएस का तीसरा ट्रेनसेट दुहाई डिपो पहुँच गया है। पहले दो ट्रेनसेट की तरह इस ट्रेन के 6 डिब्बों को भी ट्रॉली पर लादकर सावली, गुजरात में स्थित मैन्युफैक्चरिंग प्लांट से दुहाई डिपो लाया गया है। इन डिब्बों को आपस में जोड़ भी लिया गया है।
7 मई 2022 को आरआरटीएस ट्रेन की चाबियाँ एनसीआरटीसी को सौंपी गई थी। तब से अभी तक आरआरटीएस के दो ट्रेनसेट पहले ही दुहाई डिपो पहुँच चुके हैं।
मेक इन इंडिया दिशानिर्देशों के तहत, देश की प्रथम रीजलन रेल के लिए 100% ट्रेनसेट भारत में सावली, गुजरात में स्थित एल्सटॉम (पहले बॉम्बार्डियर) के मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट में निर्मित किए जा रहे हैं।
पहले आरआरटीएस कॉरिडोर के लिए वह कुल 40 सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनसेट डिलीवर होंगें जिसकी 15 वर्षों के लिए रोलिंग स्टॉक मेंटिनेंस के साथ बंडलिंग की गई है। इनमें से 30 ट्रेनसेट आरआरटीएस के लिए और 10 ट्रेनसेट एमआरटीएस के लिए प्रयोग की जाएँगी।
वर्तमान में डिपो में मौजूद दो आरआरटीएस ट्रेनों की स्टेटिक टेस्टिंग और डायनामिक टेस्टिंग जारी है। इस टेस्टिंग में सफल होने के बाद ट्रेन की इंटीग्रेटेड टेस्टिंग होती है, जिसमें रोलिंग स्टॉक, सिग्नलिंग और विद्युत सप्लाई की टेस्टिंग होती है। इन सभी की सफल टेस्टिंग के बाद प्री-ऑपरेशनल ट्रायल होता है। ट्रायल सफलता पूर्वक पूरा होने के बाद ट्रेन को यात्रियों के लिए ऑपरेशनल किया जाता है।
दुहाई डिपो में ट्रेनों के लिए रूफ शेड का कार्य पूर्ण हो चुका है। इसके साथ ही डिपो के आसपास के इलाकों की सुविधा के लिए डिपो लाइन के नीचे से अंडर पास बनाया गया है। डिपो की फेंसिंग और ओएचई लगाने का कार्य भी अंतिम चरण में है और जल्द पूर्ण हो जाएगा।
एनसीआरटीसी जल्द ही प्रायोरिटी सेक्शन पर ट्रायल रन आरंभ करने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी कर रहा है। एनसीआरटीसी का लक्ष्य है कि इस सेक्शन में मार्च 2023 तक आरआरटीएस का संचालन शुरु कर दिया जाए।