अवैध निर्माण पर सीलबंदी तो एक तरफ आए दिन कट रहे हैं उद्घाटन के फीते
डीएम/ वीसी के आदेश को धता बता नेहरू नगर में रोज खड़ी हो रही है एक नई इमारत
मुख्य संवाददाता
गाजियाबाद। जीडीए के स्लोगन ‘एक सुंदर शहर हमारा संकल्प’ को शायद बदलने का समय आ गया है। बढ़ते अवैध निर्माण के चलते इस स्लोगन को बदल कर ‘एक बेतरतीब शहर नागरिकों का मुकद्दर’ कर देना चाहिए। महानगर के अधिकांश इलाके में जीडीए का बुलडोजर दहाड़ रहा है। लेकिन शहर के दिल कहे जाने वाले कुछ इलाकों में अवैध निर्माण धड़ल्ले से परवान चढ़ रहा है। नए शहर को पुराने शहर से जोड़ने वाली एक मात्र लाइफ लाइन रोड पर कतार से सीना ताने खड़े हो रहे शोरूम व अवैध निर्माण जिलाधिकारी व जीडीए उपाध्यक्ष को चुनौती देते नजर आ रहे हैं। गौरतलब है कि हाल ही में जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने अधिकारियों से सख्त लहजे में कहा था कि उन्हें अवैध निर्माण की नींव की ईंट चाहिए।
उनकी चेतावनी के बावजूद धड़ल्ले से चल रहे निर्माण पर सीलबंदी की कार्रवाई तो एक तरफ आए दिन उनके उद्घाटन के फीते कट रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार से लेकर जिलाधिकारी तक अवैध निर्माण के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की घोषणा कई बार कर चुके हैं। सूबे के कई जिलों में बाबा (मुख्यमंत्री) के बुलडोजर का कहर अवैध निर्माण कतार्ओं में खौफ का सबब बना हुआ है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष का दायित्व ग्रहण करने के साथ ही जिलिधिकारी ने जीडीए के प्रवर्तन विभाग को सख्त लहजे में चेतावनी दे दी थी कि अवैध निर्माण या नक्शे के विपरीत निर्माण पर उन्हें सीलबंदी जैसी लीपापोती वाली कार्रवाई नहीं चाहिए, बल्कि ध्वस्तीकरण जैसी परिणामात्मक कार्रवाई चाहिए। जोन-3 में चल रहे ऐसे ही एक निर्माण को लेकर उन्होंने टिप्पणी की थी कि उन्हें अवैध निर्माण की नींव की ईंट चाहिए। अब यह तो नहीं पता कि प्रवर्तन विभाग में तैनात अभियंताओं ने उनके आदेश पर कितना अमल किया। लेकिन जानकारी में आई जमीनी हकीकत बताती है कि जीडीए कार्यालय से चंद कदमों की दूरी पर ही कई अवैध इमारतें अपने कद पर इतराती हुई हर रोज कुछ और ऊंचा हो जाती हैं।
महानगर के बाजारों की तमाम सड़कों पर अतिक्रमण की भरमार है। जीडीए के प्रवर्तन विभाग में तैनात अभियंताओं की मेहरबानी से बचा-खुचा शहर भी बाजार में तब्दील हो गया है। घंटाघर से लेकर नवयुग मार्केट का पूरा आवासीय इलाका देखते ही देखते दुकानों व शोरूम में तब्दील हो गया। यही हाल दिल्ली गेट से हापुड़ रोड रेलवे क्रासिंग तक के आवासीय इलाके का है। दो किलोमीटर की इस सड़क पर शायद ही कोई आवासीय परिसर ऐसा बचा होगा जो दुकान या शोरूम में न परिवर्तित हो गया हो। और तो और पुराने इलाकों में सघन आबादी वाले इलाकों में भी नक्शे के विपरीत इमारतें बेखौफ धड़ल्ले से खड़ी हो रही हैं। खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है कि तर्ज पर महानगर की सबसे महत्वपूर्ण व व्यस्त सड़क पर भी अवैध निर्माण की बाढ़ आ गई है। कवि नगर, शास्त्री नगर, अवंतिका, चिरंजीव विहार व बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र को पुराने इलाके से जोड़ने वाली लाइफ लाइन रोड भी इस समय अवैध निर्माण की चपेट में हैं। होली चाइल्ड चौराहे से अम्बेडकर रोड और वसंत सिनेमा की ओर जाने वाली दोनों सड़कों पर कथित रूप से अवैध व नक्शे के विपरीत निर्माण की बाढ़ आई हुई है।
जिलाधिकारी व उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह अपनी बात कई बार दोहरा चुके हैं कि आवासीय भूमि पर भू-उपयोग के विपरीत निर्माण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।? फिर मार्बल मार्केट से लेकर होली चाइल्ड चौराहे तक कतार से भू-उपयोग के विपरीत निर्माण किस कीमत पर हो रहा है समझना मुश्किल नहीं है? इस मामले में अवैध निर्माणकतार्ओं के हौसले की दाद तो देनी ही पड़ेगी साथ ही प्रवर्तन विभाग के होनहार सपूतों की निर्भीकता को भी सलाम करना ही पड़ेगा जो अवैध निर्माण की पैरोकारी में खड़े हैं।
जोन-4 प्रभारी आर. के. सिंह का कहना है कि इस इलाके में उनकी तैनाती हाल ही में ही हुई है। अवैध निर्माण के खिलाफ मिल रही शिकायतों पर यथा संभव कार्रवाई की जा रही है। उनका कहना है कि आज उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भी इलाके का भ्रमण कर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।