डासना देहात में नियमों को ताक पर रखकर कृषि भूमि की बंदरबांट का मामला
ग्राम प्रधान ने जमकर बांटे परिवार वालों, बाहरियों एवं पैसे वालों को पट्टे
जिन्होंने पट्टे की जमीन खरीदी उनसे वापस लेगा प्रशासन
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। जिले की डासना देहात ग्राम पंचायत में नियमों को ताक पर रखकर कृषि भूमि के पट्टे आवंटन करने के मामले में आने वाले समय में तत्कालीन प्रधान के साथ ही उस समय तैनात रहे ग्राम पंचायत सचिव समेत अन्य अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती है। इसके साथ ही जिन लोगों ने पट्टे की जमीनें खरीदी उनसे भी प्रशासन जमीन का कब्जा वापस लेगा।
बता दें कि ग्राम पंचायत डासना देहात में तत्कालीन प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव, तहसीलदार एवं एसडीएम आदि की मिलीभगत से दो सौ से ज्यादा लोगों को वर्ष 2002-03 में कृषि भूमि के पट्टे आवंटित किये गये थे। उस समय कुसुम देवी पत्नी राम प्रसाद गांव की प्रधान थी। सभी की मिलीभगत से प्रधान एवं प्रधान पति के परिवार वालों के साथ ही ग्राम पंचायत सदस्यों को जमकर उपकृत करते हुए पट्टों की बंदरबांट की गई थी। सूत्रों के अनुसार इस मामले में तत्कालीन तहसीलदार जेल भी गये थे। अब मुकदमें का निस्तारण करते हुए एडीएम प्रशासन रितु सुहास ने सभी 201 पट्टों को निरस्त कर दिया। करीब 30 से 35 बीघा पट्टों की इस जमीन की कीमत अरबों रुपये आंकी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार इस मामले में तत्कालीन प्रधान के साथ ही उस समय तैनात रहे अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है। प्रशासन अभी सभी पहलुओं पर विचार कर रहा है। इसके साथ ही जिन लोगों को पट्टों का आवंटन किया गया था उनकी परेशानी भी बढ़ सकती है। जिन लोगों ने पट्टे की जमीनें खरीदी थी उनसे प्रशासन कब्जा वापस लेने की कार्रवाई करेगा। सूत्र बताते हैं कि क्षेत्र के कई दबंगों के नौकरों तक को उस समय पट्टे आवंटित किये गये थे।
बढ़ सकती है बसपा नेता की मुश्किलें
सूत्रों के अनुसार यह मामला बहुजन समाज पार्टी में ऊपर तक पहुंच गया है। इस स्थिति में बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राम प्रसाद प्रधान विरोधियों के निशाने पर आ गये हैं। वे चुनाव के मौके पर सपा में शामिल हुए थे, लेकिन बाद में बसपा में वापस आ गये थे। अब बसपा के उनके विरोधी इस मुद्दे को भुनाने में लग गये हैं।