राजधानी में डिनर राजनीति पर गाजियाबाद के नेताओं में बढ़ रही बैचेनी
जिले के पांच में से चार विधायक और संगठन अध्यक्ष की मौजूदगी के मायने
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। प्रदेश की राजधानी का राजनीतिक पारा पिछले दिनों काफी गर्म रहा। एक तो गाजियाबाद के विधायक ने पहले ही पारा पहले ही चढ़ा दिया था। लेकिन जब वहां पर गाजियाबादियों की डिनर राजनीति लखनऊ पहुंच गई तो सत्तारूढ़ दल के नेताओं के कान तो खड़े होने ही थे।
बता दें कि गाजियाबाद के विधायकों की इन दिनों डिनर पर चर्चा का प्रचलन काफी बढ़ गया है। इसकी शुरूआत बसपा से भाजपा में आकर मंत्री पद को सुशोभित करने वाले नरेंद्र कश्यप ने की थी। इसके बाद पूर्व मंत्री के आवास पर भी विधायकों के साथ ही संगठन के जिला- महानगर अध्यक्षों की डिनर पार्टी हुई। पूर्व मंत्री की पार्टी में राज्यसभा सांसद एवं वर्तमान में लोकसभा सांसद जो केंद्र में मंत्री भी है पहुंचे।
लेकिन यहीं डिनर पोलिटिक्स अब प्रदेश की राजधानी में पहुंच गई है। सूत्रों के अनुसार प्रदेश सरकार में गाजियाबाद के इकलौते मंत्री जी ने विधानसभा सत्र के दौरान अपने आवास पर गाजियाबाद के विधायकों को डिनर पर आमंत्रित किया था। यहीं पर बैठकर डिप्टी सीएम के यहां चाय की चुस्कियां लेने की रणनीति बनाई गई। इस डिनर के बाद चाय पर चर्चा में चार विधायकों के साथ ही एक संगठन अध्यक्ष की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही।
अब जबकि प्रदेश में निकाय चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई है इस स्थिति में सभी की नजरें चुनाव पर ही ठहर गई है। हालांकि मुद्दा क्या रहा यह तो दोनों स्थानों पर बैठे लोग ही बता सकते हैं। लेकिन डिनर एवं चाय की राजनीति ने गाजियाबाद जिले में सत्तारूढ़ पार्टी के अनेक कद्दावर नेताओं की बैचेनी बढ़ा दी है। वह इसलिए कि आखिर खिचड़ी क्या पक रही है। हालात यह है कि छह लोगों से पूछे तो कौन। हालांकि यदि कोई पूछता है तो सभी लोग केवल डिनर करने एवं चाय की ही बात करते हैं। हालांकि छह लोगों के बीच क्या पक रहा है इसकी सुरागरसी के लिए सभी बड़े राजनीतिक लग चुके हैं। इसके साथ ही ग्रुप में तोड़फोड़ की योजना भी बनाई जा रही है। यह कितनी परवान चढ़ेगी यह तो वक्त ही बतायेगा।
डिप्टी सीएम ने कर दिया खुलासा
सूत्रों की मानें तो सबकुछ बहुत गोपनीय था। लेकिन प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक की क्या कहें जिन्होंने फेसबुक पर फोटो डलवाकर सबकुछ उजागर कर दिया। पाठक का सोशल मीडिया प्रेम सबकुछ उजागर कर गया। यदि ऐसा नहीं होता तो किसी को कानों कान खबर नहीं लगती कि हो क्या रहा है।