Dainik Athah

भाजपा के ही विधायक आरोप लगा रहे हैं, भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं: अखिलेश यादव

भाजपा सरकार के छह माह भी बगैर काम किये बीत गये

अथाह ब्यूरो
लखनऊ।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की दूसरी सरकार के छह माह भी वैसे ही बिना कोई काम किए बीत गए जैसे पिछले पांच साल बीते थे। इस सरकार के मंत्री आरोप-प्रत्यारोप में जूझते रहे। भ्रष्टाचार पर कहीं अंकुश नहीं लगा। भाजपा सरकार ने दुबारा सत्र तो बुला लिया लेकिन उसी कार्यकुशलता का नमूना यह है कि अभी जिलो में बजट ही नहीं गया है। विकास कार्य रुके पड़े हैं।

उन्होंने कहा कि यह बात तो अभी सदन में स्वीकार की गई है कि किसानों को मुफ्त बिजली देने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। चुनाव के समय किसानों के वोट लेने के लिए मुफ्त बिजली का जो वादा किया गया था अब उसे जुमला मान लिया गया है। यही हाल प्रधानमंत्री जी के किसानों की आय दुगनी करने का है। 2022 तक के लिए किए गए वादे का अभी कोई नाम भी नहीं लेता है। गन्ना किसानों के बकाया भुगतान में सरकार की रूचि नहीं है। खाद, बीज, सिंचाई का इंतजाम नहीं है।

अखिलेश यादव ने कहा भाजपा की छह महीने की दूसरी सरकार में मुख्यमंत्री खुद ही असहाय दिखे हैं। उनके तमाम सख्त आदेशों-निदेर्शों के बावजूद अपराध कम नहीं हुए हैं। कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब लूट, हत्या, अपहरण की घटनाएं न होती हो। महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामलों में उत्तर प्रदेश की देश भर में बदनामी हो रही है। हालत इतने बिगड़े हुए है कि अब थाना परिवार में भी कोई महिला सुरक्षित नहीं। सत्ता के नशे में भाजपा के नेता और कार्यकर्ता खुद को ही सरकार समझ बैठे हैं। कहीं अधिकारियों को धमकाते नजर आते है तो कहीं विधायक अपनी ही सरकार को कोसते दिखते हैं। अवैध कार्यवाहियों में भी भाजपा नेताओं के नाम आ रहे हैं। सरकार उनके विरूद्ध कठोर कार्यवाही करने के बजाय उन्हें संरक्षण दे रही है। थानों और तहसीलों में भाजपा नेताओं की दलाली कायम है। ऐसी अराजकता और ध्वस्त कानून व्यवस्था पहले कभी नहीं देखी गई।

उन्होंने कहा भाजपा राज की सबसे बड़ी देन भ्रष्टाचार और महंगाई है। पीडब्लूडी और कई अन्य विभागों में भाजपा सरकार द्वारा ट्रांसफर पोस्टिंग में खुलकर लूट की गई। जांच के नतीजे में सिर्फ लीपापोती हुई। रोजगार के लम्बे चौड़े वादे जरूर हुए पर नौजवानों को रोजगार नहीं मिला। पूंजीनिवेश की चचार्एं खूब हुई लेकिन पूंजीनिवेश धेलाभर भी नहीं हुआ। न कहीं उद्योग लगे, न रोजगार सृजित हुआ। शिक्षा-स्वास्थ्य के क्षेत्र में गिरावट जारी है। बच्चों की पढ़ाई के साथ दवा-इलाज की व्यवस्था चौपट है। हर विभाग में घोटाला है। महंगाई बेलगाम है। जीएसटी की मार से बच्चे-बूढ़े सभी कराह रहे हैं। व्यापार बर्बाद हो गया।

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