बेखौफ बिल्डर्स को नहीं भय, खुद ही खोल ली जीडीए की लगाई सील
शासन से आई शिकायत पर हुई कार्रवाई रही बेनतीजा
आलोक यात्री
गाजियाबाद। जीडीए में जन शिकायतों पर एक तो त्वरित कार्यवाही नहीं होती। होती भी है तो आधी अधूरी। अवैध निर्माण के खिलाफ सीलिंग के मामले में तो दोनों पक्षों के हाथ में लड्डू रहते हैं। यानी निर्माणकर्ता और प्रवर्तन विभाग के इंजीनियर्स अपने हित साधने में पीछे नहीं रहते। प्रवर्तन विभाग में तैनात कर्मियों की इस हित साधना से जीडीए को हर दिन लाखों रुपए की क्षति आर्थिक उठानी पड़ रही है। ताजा मामला सेक्टर-4 वैशाली का है। जहां भूस्वामियों ने जीडीए की लगाई सील खुद ही हटा दी। ओएसडी ने मामले से अनभिज्ञता जताते हुए फिलहाल सील खोलने वाले भूस्वामियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवाने के मौखिक आदेश दिए हैं।
गौरतलब है कि मई 2022 के अंत में जीडीए के अपर सचिव ने प्रदेश शासन के उप सचिव को अवगत करवाया था कि वैशाली सेक्टर-4 में भूखंड संख्या 431 से भूखंड संख्या 440 तक में संचालित अवैध गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई कर दी गई है। जीडीए को मुख्यमंत्री के जन शिकायत संबंधी आईजीआरएस पोर्टल के माध्यम से अमित गोयल का पत्र प्राप्त हुआ था। जिसमें उपरोक्त भूखंडों पर आवासीय श्रेत्र में व्यावसायिक गतिविधियां संचालन की शिकायत मिली थी। शासन को प्रेषित जीडीए के अपर सचिव के इस पत्र में यह हवाला भी है कि सेक्टर-4 वैशाली के भूखंड संख्या 431 से 437 तक के निर्माण को सील कर दिया गया है।
सीलबंदी के दायरे में आए भवन संख्या 433 में एक प्ले स्कूल चल रहा था। जानकारी में आया है कि स्कूल संचालकों द्वारा जीडीए अधिकारियों को अवगत करवाया गया कि उनकी मुख्य संचालन इकाई के पास इस तरह की गतिविधियों के संचालन के लिए कोर्ट का स्थगन आदेश है। स्कूल संचालकों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों की विधिक जांच कराने के उपरांत विशेषाधिकारी द्वारा 20 जून 2022 को भूखंड संख्या 433 को सील से अवमुक्त करने का आदेश जारी कर दिया गया। दस्तावेज बताते हैं कि ओएसडी के आदेश पर भूखंड संख्या-433 को ही राहत दी गई थी। लेकिन मौके पर शेष छह भूखंड आज भी सीलबंदी की कार्रवाई को मुंह चिढ़ा रहे हैं। एक भूखंड को सील अवमुक्त करने का लाभ बाकी भूखंड मालिक भी ले उड़े। उनकी सील किसके आदेश पर हटी यह अपने आप में रहस्य है।
इस संवाददाता द्वारा तीन दिन पूर्व विशेषाधिकारी से इस संबंध में जानकारी मांगी तो उन्होंने फाइल देखकर वस्तुस्थिति से अवगत करवाने का आश्वासन दिया था। आज सोमवार को उन्होंने अपने अधिनस्थों से वस्तु स्थिति का संज्ञान लेते हुए इस बात पर रोष प्रकट किया कि बिना वैध कार्रवाई के सीलबंद परिसरों के स्वामियों ने स्वयं सील कैसे खोल ली? विशेषाधिकारी ने सील खोल लेने वाले भूस्वामियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के मौखिक आदेश जारी कर दिए हैं। प्रवर्तन विभाग या किसी अन्य अधिकारी के आदेश के बिना इन शेष छह भूखंडों की सील कैसे खुली? इसका उत्तर विशेषाधिकारी भी नहीं दे पाए।
जानकारी में आया है कि जीडीए के नियंत्रण वाले इलाके में अवैध निर्माण में सीलबंदी का खेल अर्से से चल रहा है। जानकारों का कहना है कि सीलबंदी की यह कार्रवाई अवैध निर्माणकर्ता व प्रवर्तन विभाग, दोनों के लिए ही मुफीद है। जानकारों का यह भी कहना है कि जोन-6 में अवैध निर्माण का धंधा अर्से से फलफूल रहा है। प्रवर्तन विभाग में तैनात सुपरवाइजर, इंजीनियर्स व बिल्डर्स की सांठगांठ से बड़ी कार्रवाई से बचने के लिए निर्माण को अवैध बताते हुए कागजों में तो उसे सील दिखा दिया जाता है, लेकिन मामला शांत पड़ते ही निर्माणकर्ता बेखौफ होकर अपने निर्माण की सील वैसे ही खोल लेते हैं जैसे वैशाली सेक्टर-4 के इन निर्माणकतार्ओं ने खोल ली। कई मामले ऐसे भी संज्ञान में आए हैं जिसमें सीलबंदी के बावजूद निर्माण अनवरत जारी रहा। देखना यह है अपने सीलबंद परिसर की सील खोलने वाले इन भूस्वामियों के खिलाफ वाकई कोई ठोस कार्रवाई होगी या इन्हें प्रवर्तन विभाग का संरक्षण बदस्तूर जारी रहेगा।