Dainik Athah

जीडीए में बरसों से रिक्त चल रहे हैं दर्जनों महत्वपूर्ण पद

बैकडोर से व्यक्ति विशेष की तैनाती की चल रही है कवायद

भारीभरकम वेतनमान की अनुशंसा पर भी उठा सवाल

आलोक यात्री
गाजियाबाद।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में उद्यान परामर्शदाता के पद पर नियुक्ति का ऊंट किस करवट बैठेगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन इस प्रकरण में मनमानी पर उतारू सरकारी मशीनरी के ऊंट को नकेल पहनाने में प्राधिकरण बोर्ड के सदस्य ने कमान अपने हाथ में जरूर ले ली है। उद्यान परामर्शदाता की नियुक्ति हेतु आवेदन मांगे जाने के बाद से ही पार्षद एवं जीडीए बोर्ड सदस्य हिमांशु मित्तल ने इस नियुक्ति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि यह संपूर्ण कवायद उस व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए की जा रही है जो प्राधिकरण में पूर्व में उद्यान अधीक्षक रह चुका है। उन्होंने प्राधिकरण के उपाध्यक्ष से लेकर सूबे के आला अधिकारियों से इस प्रकरण का संज्ञान लेते हुए इस नियुक्ति को तुरंत रद्द करने की मांग की है।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में प्राधिकरण के उद्यान अधिकारी की ओर से समाचार पत्रों में एक विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया था। जिसमें उद्यान परामर्शदाता की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए हैं। श्री मित्तल को नियुक्ति के लिए निर्धारित शर्तों पर ऐतराज है। उनका कहना है कि शर्तों के तहत पात्र व्यक्ति को प्रदेश के ही किसी प्राधिकरण से सेवानिवृत्त होने के अलावा उत्तर प्रदेश का ही निवासी होना चाहिए, सेवानिवृत्ति के समय उसका वेतन रुपए 66 सौ ग्रेड से अधिक होना चाहिए। उपाध्यक्ष को लिखे पत्र में श्री मित्तल ने संदेह जताते हुए स्पष्ट किया है कि इस पद पर किसी व्यक्ति विशेष की नियुक्ति की साजिश रची जा रही है। इसलिए पात्रता की शर्तें भी व्यक्ति विशेष के अनुकूल ही रखी गई हैं।

मित्तल ने आरोप लगाया है कि वित्तीय संकट से जूझ रहे प्राधिकरण में एक नया पद सृजित कर पूर्व उद्यान अधीक्षक कि पुन: बहाली की कवायद चल रही है। पत्र में श्री मित्तल ने पूर्व उद्यान अधीक्षक पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगाए हैं। अपने शिकायती पत्र के साथ उन्होंने कुछ तथ्य भी प्रस्तुत किए हैं। उनमें उन फाइलों का भी हवाला है जिनके भुगतान का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी लंबित है।

हिमांशु मित्तल के अलावा दिल्ली निवासी पुष्पेंद्र दीक्षित ने भी इस नियुक्ति के खिलाफ बिगुल बजाते हुए मंडलायुक्त को एक शिकायती पत्र भेजा है। जिसमें उन्होंने भी यही संदेह व्यक्त किया है कि एक व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए ही उद्यान परामर्शदाता का पद सृजित किया गया है। मंडलायुक्त को लिखे पत्र में उन्होंने स्पष्ट आरोप लगाया है कि प्राधिकरण में 14 वर्षों की तैनाती के दौरान उक्त व्यक्ति विशेष ने अपने एक सहकर्मी के साथ मिलकर प्राधिकरण को वित्तीय हानि पहुंचाते हुए कई सौ करोड़ रुपए की संपत्ति अर्जित की है। श्री दीक्षित का आरोप है कि उक्त व्यक्ति विशेष को राजनैतिक वरदहस्त प्राप्त होने के चलते नियमावली में परिवर्तन कर तीन बार पदोन्नति देकर भी लाभान्वित किया गया था।

उद्यान विभाग में परामर्शदाता का पद अचानक सृजित कैसे हुआ? इस सवाल पर प्राधिकरण का कोई अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं है। गौरतलब है कि प्राधिकरण में अधीक्षण अभियंता (सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर), मुख्य नगर नियोजक, विशेषाधिकारी, संयुक्त सचिव, चीफ अकाउंट आॅफिसर, विधि अधिकारी, अनु सचिव व मुख्य लिपिक स्तर के कई पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं। प्राधिकरण के आठ जोन में मात्र तीन अधिशासी अभियंता ही तैनात हैं। यही हाल विशेषाधिकारी स्तर का है। प्राधिकरण में मात्र दो ओएसडी हैं। उनमें भी एक रैंकर हैं। किसी जमाने में जहां चार से छह ज्वाइंट सेक्रेटरी (संयुक्त सचिव) रहते हों वहां एक की भी तैनाती न होना हैरानी की बात है। यही नहीं प्राधिकरण में मुख्य लिपिक के 20 पद स्वीकृत हैं। लेकिन वर्तमान समय में दो मुख्य लिपिक ही पूरे प्राधिकरण को सेवा दे रहे हैं। वर्तमान दौर में प्राधिकरण जब अधिकारियों, इंजीनियर्स और कर्मचारियों की अभूतपूर्व कमी से जूझ रहा हो ऐसे में उद्यान सलाहकार की नियुक्ति किसके दिमाग की उपज है इसकी पड़ताल भी आवश्यक है।

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