Dainik Athah

इशान एजूकेशन सोसायटी से जीडीए ने जीती मुआवजे की जंग

डीएम एवं जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह सिंह की मुहिम रंग लाई

कोर्ट की पहल पर 200 करोड़ के बजाए 25 करोड़ में हुआ निपटारा

आलोक यात्री
गाजियाबाद।
मुआवजे को लेकर 17 साल से चल रही रही कानूनी लड़ाई में जीडीए (गाजियाबाद विकास प्राधिकरण) को आज बड़ी और एतिहासिक सफलता हाथ लगी है। भू अर्जन के एक मामले में 200 करोड़ रुपए मुआवजे के लिए दाखिल याचिका का निस्तारण करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 25 करोड़ रुपए मुआवजा स्वीकार करते हुए इशान एजूकेशन सोसायटी की याचिका निरस्त कर दी। याचिकाकर्ता अधिग्रहित 20 हजार वर्ग मीटर भूमि के बदले 200 करोड़ रुपए की मांग कर रहा था। जीडीए के तहसीलदार दुर्गेश सिंह का कहना है कि मुआवजा प्रकरण में यह एक बड़ी सफलता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस प्रकरण के निस्तारण के साथ ही अन्य विवादों का हल भी जल्द ही निकल आएगा।

गौरतलब है कि वर्ष 2005 में प्राधिकरण ने विभिन्न योजनाओं के लिए कनावनी गांव में सैकड़ों बीघा कृषि भूमि का अधिग्रहण किया था। लगभग 20 हजार वर्ग मीटर की ईशान एजुकेशन सोसाइटी की भूमि पर जीडीए 2013 तक कब्जा नहीं ले पाया था। दुर्गेश सिंह के अनुसार 2014 में नए भू-अर्जन अधिनियम के तहत इस भूमि का मुआवजा निर्धारित किया था जो लगभग 17 से करोड़ रुपए के आसपास बैठता था। 1 जनवरी 2014 के भू अर्जन अधिनियम का हवाला देते हुए ईशान एजुकेशन सोसायटी नई दर पर मुआवजे की मांग को लेकर अदालत में चली गई थी।

सिंह के अनुसार याची ने उच्च न्यायालय में जीडीए एवं उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ कंटेंप्ट रिट दाखिल कर 200 करोड़ रुपए प्रतिकार की मांग की थी। जिसमें प्राधिकरण और सरकार दोनों को ही अदालत की ओर से झटका लगा था और जीडीए पर 200 करोड़ रुपए प्रतिकर की अदायगी का दबाव बन गया था। जिसके पश्चात प्राधिकरण द्वारा यह प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय ले जाया गया। जहां प्राधिकरण ने दलील दी कि भू-अर्जन नियमों में यह प्रावधान है कि जिस गांव की भूमि अर्जित की जाएगी वहां अर्जित भूमि का मुआवजा कृषि भूमि दर पर ही निर्धारित किया जाता है। यदि उस गांव में कृषि भूमि नहीं है तो आसपास के अन्य गांवों की कृषि भूमि की दर पर ही प्रतिकर निर्धारित किया होता है। मार्च 2022 में अदालत में अपना पक्ष दाखिल करने के साथ ही प्राधिकरण ने अपर जिलाधिकारी भू-अर्जन को प्रतिकर की करीब 25 करोड़ रुपए की राशि सौंप दी थी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण में प्राधिकरण के अधिवक्ताओं की दलील स्वीकार करते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया। गौरतलब है कि जिलाधिकारी एवं जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह के नेतृत्व में प्रतिकर प्रकरणों में व्यक्तिगत दिलचस्पी लेते हुए उचित दर पर मुआवजा निर्धारित होने को अहम सफलता मानते हुए जीडीए की एतिहासिक जीत के रूप में देखा जा रहा है।

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