नगर मजिस्ट्रेट गम्भीर सिंह ने दो दिन पहले स्कूल जाकर भरवाए थे फार्म
शिक्षा विभाग की नाकामी के कारण शासन, प्रशासन की हो रही है बदनामी
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। इसे कहते हैं चोर की चोरी और सीनाजोरी। केंद्र की गरीब व आर्थिक स्थिति से कमजोर बच्चों को सामान्य शिक्षा मुहैया कराने के लिए लागू की गई शिक्षा का अधिकार अधिनियम आरटीई का गाजियाबाद के नामचीन स्कूल पूरी तरह मखौल उड़ा रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि प्राइवेट स्कूलों की मनमानी व दादागिरी के खिलाफ शिक्षा विभाग व प्रशासनिक अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे है। दरअसल निजी स्कूल अधिकतर धन्ना सेठों व सत्ता से जुड़े लोगों के हैं। इसलिए प्रशासन व शिक्षा विभाग कार्यवाही की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। नतीजा यह है कि केंद्र और प्रदेश सरकार की शिक्षा नीति औंधे मुंह गिर रही है ।
बता दें कि 2 दिन पूर्व मेरठ रोड स्थित डीपीएसजी में नगर मजिस्ट्रेट गंभीर सिंह ने आरटीई के तहत 7 बच्चों का एडमिशन फार्म भरवाया था। गुरुवार को जब बच्चे स्कूल पहुंचे तो प्रबंधकों ने उन सातों बच्चों को स्कूल में प्रवेश नहीं दिया।
इस बात की जानकारी होने पर ऑल स्कूल पेरेन्ट्स एसोसिएशन के पदाधिकारी सभी पेरेन्ट्स के साथ नगर मजिस्ट्रेट गम्भीर सिंह से मिले। एसोसिएशन की अध्यक्ष शिवानी जैन ने कहा कि जिलाधिकारी ने आरटीई के तहत बच्चों का प्रवेश ना लेने वाले स्कूलों की सूची बनाकर अधिकारियों को अलग-अलग स्कूल आवंटित किए थे। नगर मजिस्ट्रेट गंभीर सिंह ने डीपीएसजी में 2 दिन पूर्व 7 बच्चों का एडमिशन कराया था लेकिन स्कूल में बच्चों को प्रवेश नहीं दिया जो शिक्षा स्तर के अधिकारियों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों की भी बदनामी है।