प्रदेश में योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण से पहले प्रदेशभर के विधायकों की धड़कनें बढ़ने लगी है। जो विधायक चुनकर आये हैं वे मंत्रिमंडल में स्थान पाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। यह प्रयास उन्हें करने भी चाहिये। सबसे बड़ा संकट योगी की पहली सरकार में मंत्री पद पाने वालों के सामने हैं। वह इसलिए कि इस बार उप मुख्यमंत्रियों से लेकर राज्यमंत्री तक को हटाकर नये मंत्री बनाने की चर्चाएं भी हवा में तैर रही है। जो भी दूसरी या तीसरी बार विधायक बनें हैं वे अपने अपने समीकरणों के माध्यम से इस प्रयास में लगे हैं कि चाहे उन्हें राज्यमंत्री बनने का मौका ही मिले, लेकिन मिल जाये। इसके साथ ही जिन विधायकों की राजनीतिक पृष्ठभूमि है वे भी अपने को नये समीकरणों में फिट करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाने वाले ऐसे अनेक विधायक है जो भारी भरकम जीत के साथ विधानसभा पहुंचे हैं उनकी धड़कनें सबसे अधिक बढ़ी हुई है। इसका कारण यह है कि इस बार भी मौका नहीं मिला तो आखिर कब मिलेगा। इस समय अधिकांश विधायकों ने लखनऊ के साथ ही देश की राजधानी में डेरा डाला हुआ है। इतना ही नहीं योगी आदित्यनाथ के संपर्क भी तलाशे जा रहे हैं जिससे बाबा को मैनेज किया जा सके। भाजपा में अंदरखाने चर्चा चल रही है मंत्रिमंडल का खाका तो बाबा ने दिल्ली में नेताओं से हुई मुलाकात में तय हो गया है। बस इस खाके में हल्का फुल्का फेरबदल अंतिम समय में होना है। जिस जाति को पिछली सरकार में प्रतिनिधित्व नहीं मिला था उन जातियों के नेता एवं विधायक भी जमीन आसमान एक किये हुए हैं। दिल्ली में बाबा के एक निकटवर्ती का इशारा यदि सही मानें तो स्वच्छ छवि के विधायकों को तवज्जो मिलेगी। लेकिन जिनकी छवि पहले से ही खराब है उन्हें लाख प्रयास के बाद भी मौका नहीं मिलने वाला। अब देखते हैं पत्ते कब खुलते हैं, तब तक विधायकों को इंतजार करना होगा।
Manthan….. Manthan….. Manthan…..