Dainik Athah

सांसदों और विधायकों के बीच की दूरी, भाजपा को लगा सकती है ग्रहण

भाजपा में सबकुछ ठीक तो नहीं चल रहा

अशोक ओझा
गाजियाबाद। गाजियाबाद व बागपत जिलों में उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए पहले चरण में मतदान हो चुका है। लेकिन इन चुनावों ने भाजपा के सांसदों के बीच लगातार बढ़ रही दूरी को जनता के सामने ला दिया है। यदि बागपत लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो इस लोकसभा क्षेत्र के सांसद डा. सत्यपाल सिंह एवं पार्टी के विधायकों के बीच की दूरी लगातार बढ़ती जा रही है। जिस प्रकार सांसद वीवीआईपी कार्यक्रमों तक सीमित रहे उसने इस दूरी को पूरी तरह से उजागर कर दिया।

भाजपा सूत्रों के अनुसार सांसद एवं विधायकों के बीच दूरी इस कदर बढ़ रही थी कि सांसद सभी पांच सीटों पर प्रत्याशी बदलने के पक्षधर थे। इस लोकसभा क्षेत्र में बागपत, बड़ौत, छपरौली, मोदीनगर एवं सिवालखास विधानसभा सीटें आती है। इनमें से मोदीनगर सीट गाजियाबाद जिले का हिस्सा है तो सिवालखास मेरठ जिले का। 2017 के चुनाव में भाजपा ने पांच में से चार सीटें जीती थी। छपरौली से सहेंद्र सिंह रमाला रालोद के टिकट पर जीते थे, लेकिन बाद में वे भाजपा में शामिल हो गये थे। इस प्रकार पांचों सीटों पर भाजपा का कब्जा था। बावजूद इसके विधायकों एवं सांसद में लगातार दूरियां बढ़ रही थी। हालांकि मोदीनगर विधायक डा. मंजू शिवाच के सांसद खुले खिलाफ नहीं थे। लेकिन उनके करीबी लोगों की विधायक से पटरी नहीं बैठती थी।

यदि चुनाव के दिनों की स्थिति को लें तो अधिकांश विधानसभा सीटों से सांसद नदारद थे। मोदीनगर में अवश्य वे तीन से चार बार आये। एक दिन गांवों का दौरा, एक दिन विधायक विरोधियों को एक छत के नीचे बैठाकर बात की। सूत्रों का दावा है कि सभी को एक छत के नीचे बैठाने से विरोधियों को एक होने का मौका मिला। इसके बाद वे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रमों में मौजूद रहे। मोदीनगर में सांसद के करीबियों पर भीतरघात के आरोप है। भाजपा सूत्र बताते हैं कि इन करीबियों ने जमकर भाजपा प्रत्याशी की खिलाफत की। इस मामले में कुछ मंडल अध्यक्ष सांसद से मिले भी थे, लेकिन उन्होंने आरोपों को मानने से इनकार कर दिया।

अब बागपत- बड़ौत की बात करें तो बागपत के योगेश धामा एवं बड़ौत के केपी मलिक से सांसद की अदावत किसी से छुपी नहीं है। दोनों ही प्रत्याशी के करीबियों की मानें तो यह मानते हैं कि सांसद ने इस चुनाव में भाजपा के लिए काम नहीं किया। लेकिन खुलकर कहने में बचते हैं।

यदि बात मोदीनगर की करें तो यहां भी सांसद के करीबियों पर पार्टी के खिलाफ काम करने का आरोप है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा के कुछ मंडल अध्यक्ष इस संबंध में बात करने सांसद डा. सत्यपाल सिंह के पास गये थे। लेकिन उन्होंने यह मानने से इनकार कर दिया कि उनके लोगों ने प्रत्याशियों के खिलाफ काम किया।
सूत्रों की मानें तो सांसद एवं उनके करीबियों के संबंध में अधिकांश प्रत्याशी प्रदेश संगठन के आला पदाधिकारियों जिनमें प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह एवं प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बसंल से लिखित शिकायत करेंगे। बागपत जिले के एक प्रत्याशी कहते हैं कि भाजपा संगठन में मीडिया के माध्यम से बात कहने की परंपरा नहीं है। इसलिए सीधे संगठन के प्रदेश के पदाधिकारियों से बात की जायेगी।

बहरहाल यह स्थिति बता रही है कि यदि भाजपा को बागपत लोकसभा सीट पर नुकसान उठाना पड़ा तो इसमें सांसद की प्रत्याशियों एवं विधायकों से दूरी भी अहम कारण होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *