Dainik Athah

मंथन: जहां कोई नेता नहीं जाना चाहता वहां राजनाथ ने लगाई नैया पार

लखमीपुर खीरी प्रदेश में ही नहीं देश में अपरिचित नाम नहीं है। लखीमपुर खीरी वह स्थान है जहां किसान आंदोलन के दौरान केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा की कार को रोकने पर किसानों को कुचलने का आरोप लगा था। इस दौरान उनके ड्राइवर समेत भाजपा कार्यकर्ता की भी हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद लखीमपुर खीरी के नाम से ही भाजपा डरने लगी। और तो और खुद टेनी की भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वे लखीमपुर खीरी जाये। इन हालातों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को लखीमपुर खीरी के पहले दौरे पर भाजपा ने भेजा। वे लखीमपुर खीरी पहुंचे और जनसभा को भी संबोधित किया। हालांकि इसके बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत अन्य नेताओं ने लखीमपुर खीरी का रूख करना शुरू कर दिया। लेकिन राजनाथ सिंह उस दौर में वहां पहुंचे जब किसी की हिम्मत उस क्षेत्र में जाने की नहीं हो रही थी। राजनाथ सिंह की पहचान एक किसान नेता के रूप में भी रही है। यदि आपको याद हो तो किसान आंदोलन के दौरान भाकियू नेता लगातार राजनाथ सिंह के साथ ही जदयू के राष्टÑीय महासचिव केसी त्यागी के नाम लेते थे कि उन दोनों को मध्यस्थ केंद्र सरकार मध्यस्थ बनाये तो समस्या का हल निकल सकता है। इसके साथ ही सबसे पहले लखीमपुर खीरी जाकर राजनाथ सिंह ने बता दिया कि उनकी स्वीकारोक्ति हर वर्ग में है। यहीं कारण है कि उनके चाहने वालों की तादाद भी अधिक है।

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