… मतदान संपन्न होने के बाद छुट्टियों की तैयारी में जुटे अफसर
गाजियाबाद जिले में मतदान पहले चरण में था। पहले चरण के चुनाव के बाद पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने राहत की सांस ली है कि चलो अब आराम फरमाया जाये। स्थिति यह है कि प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के कारण अब करने को भी कुछ खास नहीं रह गया है। ऐसे में उनके पास मिलने जुलने के लिए अब खासा वक्त है। इसके साथ ही अब अधिकांश अधिकारी चुनावी थकान उतारने के लिए अवकाश पर जाने का मन बना रहे हैं। लेकिन कुछ तेज किस्म के अधिकारियों ने छुट्टी के मामले में भी पहले बाजी मार ली। अब जो अधिकारी अवकाश पर गये हैं उनके वापस लौटने का इंतजार किया जा रहा है। कुछ अधिकारी अपने गृह जिले में किस दिन मतदान है उस दिन के हिसाब से अवकाश लेने की तैयारी में जुट गये हैं। आखिर दो सप्ताह बाद तो उन्हें अवकाश मिलने से रहा।
वोट कहीं और दे दी तो उसमें उनका क्या कसूर!
भले ही महानगर में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं किंतु चुनाव से जुड़ी चचार्एं प्रतिदिन महानगर में कहीं चलती रहती है। ऐसे ही कुछ सामाजिक और राजनीतिक लोगों ने साइकिल वाली पार्टी के पक्ष में समर्थन दिया था और इस दौरान उनके चुनाव कराने पर अधिकांश दिखाई भी इसी संगठन के लोग देते थे। किंतु चुनाव में भाग दौड़ करने पर भी प्रत्याशी तवज्जो न मिलने की चर्चा करते हुए एक पदाधिकारी ने कहा कि भले ही हम साइकिल वाले के साथ थे पर सभी जानते हैं वोट तो हमारी हाथी पर ही है। इतना सुनते ही दूसरे बड़े पदाधिकारी ने चुप कराते हुए कहा कि ऐसी बात सार्वजनिक नहीं कही जाती। जिस प्रत्याशी के लिए यह लोग भागदौड़ करते रहे वह चुनाव गंभीरता से भले ही ना लड़ा हो तथा समर्थकों तवज्जो कम दी हो तो उनके समर्थकों ने वोट कही और दे दी हो उसमें उनका क्या कसूर!