आखिर क्यों देवतुल्य कार्यकर्ताओं को पकड़नी पड़ रही बगावत की राह!
कुछ हुए पार्टी की अनदेखी का शिकार, तो बना रहे अपना वजूद
गाजियाबाद शहर सीट पर अब आशुतोष गुप्ता एवं रानी देव श्री बनें बागी, दाखिल किया नामांकन
साहिबाबाद से डा. सपना बंसल भी उतरी चुनाव मैदान में
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। भारतीय जनता पार्टी जिन कार्यकर्ताओं को देवतुल्य बताती है उनके साथ ऐसा क्या हुआ कि हर कोई बगावत की राह पर चल दिया है। लोनी में नेतृत्व की अनदेखी के चलते जहां लोनी नगर पालिका चेयरमैन रंजीता धामा ने बगावत कर अपनी ही पार्टी को चुनौती दी है, तो गाजियाबाद शहर सीट पर भी भाजपा को लगातार झटके पर झटके लग रहे हैं। अब प्रो. आशुतोष गुप्ता के साथ ही रानी देवश्री अपनी ही पार्टी के खिलाफ मैदान में उतर चुके हैं।
यदि लोनी विधानसभा को देखा जाये तो यहां पर विवादित बोल के साथ चर्चा में रहने वाले विधायक नंद किशोर गुर्जर को फिर से टिकट दिया गया है। नंद किशोर से नगर पालिका चेयरमैन रंजीता धामा एवं उनके पति व पूर्व चेयरमैन मनोज धामा की अदावत पुरानी है। हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में मनोज धामा ही नंद किशोर गुर्जर को चुनाव लड़वा रहे थे। उस समय जिला संगठन नंद किशोर के खिलाफ था। लेकिन इसके बाद मनोज धामा के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज हुआ। इस समय धामा जेल में हैं। इस मामले में मनोज धामा एवं रंजीता धामा लगातार आरोप लगाते रहे हैं कि उन्हें झूठे मुकदमे में विधायक ने फंसवाया है।
पिछले माह हुई भाजपा की जन विश्वास रैली के दौरान ही रंजीता धामा ने अपने इरादे जाहिर कर दिये थे। उन्होंने रैली का स्वागत करने के साथ ही प्रदेश सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल एवं जिलाध्यक्ष दिनेश सिंघल के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी कि यदि नंद किशोर गुर्जर को टिकट दिया गया एवं उन्हें खुद को नहीं दिया गया तो वे चुनाव लड़ेंगी। रंजीता धामा के चुनाव लड़ने से यह माना जा रहा है कि भाजपा का एक बड़ा वोट बैंक रंजीता के साथ खड़ा होगा।
यदि गाजियाबाद शहर सीट को देखें तो भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष केके शुक्ला ने बसपा में शामिल होकर गुरुवार को नामांकन भी दाखिल कर दिया। शुक्ला के बागी होने के बाद भाजपा को शहर सीट पर जोरदार झटका लगा है। शुक्ला के उतरने के बाद भाजपा के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं होगा। इसके बाद गुरुवार को ही प्रो. आशुतोष गुप्ता एवं पार्टी की सक्रिय कार्यकर्ता रानी देवश्री ने भी ताल ठोंक दी है। इससे तय है कि लोनी के बाद गाजियाबाद शहर सीट पर भाजपा को खतरा बढ़ रहा है।
उधर साहिबाबाद सीट पर डीयू में प्रोफेसर डा. सपना बंसल ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोंक दी है।
इस स्थिति को देखकर यह लगता है कि जिस पार्टी में कार्यकर्ताओं को देवता की उपाधि दी जाती है वहां पर कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ रहा है तो वह वर्तमान जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण है अथवा पार्टी उनकी उपेक्षा कर रही है। लेकिन यह स्थिति चुनावों के समय ठीक नहीं कही जा सकती।