पूर्व विधायक सुरेश बंसल की अस्वस्थ्यता के चलते बसपा का प्रत्याशी बदलना रहा कारगर
पार्टी की टीम को संभालना अतुल गर्ग के लिए होगा कठिन
ब्राह्मण, पूर्वांचली, अल्पसंख्यक, बसपा का वोट बैंक बढ़ायेंगे परेशानी
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। बहुजन समाज पार्टी के पूर्व विधायक सुरेश बंसल के अस्वस्थ्य होने के चलते परेशानी में आई बसपा गाजियाबाद शहर सीट पर अब एक बार फिर फ्रंट फुट पर खेलने के लिए तैयार हो गई है। बसपा ने इस सीट पर भाजपा में ही सैंध लगाकर सभी को चौंका दिया है। वह भी भाजपा के पुराने कार्यकर्ता एवं क्षेत्रीय पदाधिकारी।
बता दें कि बसपा ने सुरेश बंसल को टिकट दिया था। लेकिन वे गंभीर रूप से अस्वस्थ्य हो गये। इंतजार करने के बाद बसपा ने प्रत्याशी की तलाश शुरू कर दी। इस मामले में बसपा का भाग्य जोर मार गया और भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष केके शुक्ला को तोड़ने में बसपा नेतृत्व सफल हो गया। केके शुक्ला खुद दो बार भाजपा के टिकट पर गोंडा से चुनाव लड़ चुके हैं। इसके साथ ही पिछले दिनों संपन्न हुई भाजपा की जन विश्वास यात्रा के वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी भी थे। शुक्ला इस प्रकार टूट कर बसपा में जा सकते हैं यह भाजपा के किसी नेता ने सोचा भी नहीं था। उनके भाजपा के प्रदेश एवं केंद्र के अनेक नेताओं से सीधे संबंध है। इसके साथ ही संघ में भी उनकी पकड़ मजबूत रही है। इस प्रकार बसपा ने मजबूत दांव भाजपा के सामने चला।
प्रदेश सरकार में मंत्री एवं शहर सीट से विधायक अतुल गर्ग का विरोध किसी से छुपा नहीं है। लाइन पार क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ता पहले से ही उनके विरोध में खड़े थे। अब केके शुक्ला के मैदान में आने से भाजपा को अपने कार्यकर्ताओं के साथ ही पार्षदों को संभालना भी कठिन हो जायेगा। एक पार्षद ने तो उनके साथ ही बसपा में शामिल होने की घोषणा कर दी, इसके साथ ही कई अन्य पार्षद शुक्ला के संपर्क में है। इतना ही नहीं लंबे समय से पार्टी के खेवनहार रहे अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ता भी शुक्ला के संपर्क में है।
हालांकि भाजपा के महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा कहते हैं कि वे बहुत अच्छे कार्यकर्ता थे, उनके जाने से धक्का तो लगा है। सभी कार्यकर्ता हतप्रभ है। लेकिन उनके जाने से भाजपा को कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने अपील की कि वे अपने घर लौट कर आ जायें। उन्होंने कहा कि पार्टी का कोई कार्यकर्ता उनके साथ नहीं जा रहा है। उनका पार्टी में सम्मान बरकरार रहेगा। इस बयान से पता चलता है कि भाजपा को झटका लगा है।
यदि राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो ब्राह्मण के साथ ही दलित, मुस्लिम, पूर्वांचली एवं मुस्लिमों की बदौलत केके शुक्ला अतुल गर्ग को कड़ी टक्कर दे पायेंगे। लेकिन अभी आने वाले दिनों में लोगों का रूझान देखना भी आवश्यक है।
टिकट मांगने पर नहीं लिया जा रहा था गंभीरता से
केके शुक्ला ने जब भाजपा से गाजियाबाद शहर सीट से टिकट मांगना शुरू किया तो उन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया। उन्होंने दावा किया था शहर सीट पर सर्वाधिक ब्राह्मण मतदाता है। लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। इसी का परिणाम है उन्होंने पार्टी से बगावत की।