अथाह ब्यूरो,
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि सन् 2022 में होने वाला चुनाव संविधान और लोकतंत्र को बचाने का चुनाव है। भाजपा साजिशों की राजनीति करती है और चुनाव की निष्पक्षता को नष्ट करने पर उतारू हैं। गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र आदि प्रदेशों के भाजपा एवं आर.एस.एस. के बड़ी संख्या में कार्यकर्ता चुनावों को प्रभावित करने के लिए उत्तर प्रदेश में आ चुके हैं। संविधान और स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों पर भाजपा बराबर हमलावर रही है। यही भाजपा का मूल एजेण्डा भी है।
भाजपा नेतृत्व का मात्र संगठन आरएसएस न तो स्वतंत्रता संग्राम में शामिल रहे और नहीं उनकी प्रतिबद्धता संविधान और उसमें उल्लिखित समाजवाद, पंथनिरपेक्षता पर हैं। लोकतंत्र के विरूद्ध उसका आचरण जगजाहिर है जबकि समाजवादी लोकतंत्र और सबके हक तथा सम्मान के लिए संघर्षरत रहे हैं। भाजपा ने समाज के दलितों, पिछड़ों के हक छीनकर उन्हें प्रताड़ित करने का काम किया है। भाजपा-समाजवादी पार्टी की नीति और नीयत में यही फर्क जगजाहिर है।
भ्रष्टाचार, लूट और षडयंत्र भाजपा की रणनीति और कार्यनीति के प्रमुख अंग है। जनता की गाढ़ी कमाई को अपने झूठे विज्ञापनों पर फूंकने में भाजपा का आचरण मर्यादाहीन है। समाजवादी सरकार ने विकासकार्यों पर धन खर्च किया था। समाजवादी पार्टी ने एक्सप्रेस-वे, मेट्रो, के अलावा मेधावी छात्र छात्राओं को लैपटॉप बांटे, गरीब महिलाओं को पेंशन दिया और छात्राओं को कन्या विद्याधन बांटा। जबकि भाजपा अपने पूरे कार्यकाल में एक भी अपनी योजना नहीं ला सकी। न लैपटाप दिया और नहीं गरीबों को आवास दिए। भाजपा-सपा के कामों में यही अंतर है।
जहां तक कानून व्यवस्था की स्थिति है भाजपा राज में सत्ता के संरक्षण में अपराधियों का बोलबाला है। असामाजिक तत्व व अपराधी पुलिस के सायें में खेल-खेलते दिखाई देता है। भाजपा सरकार ने अब तक टापटेन अपराधियों की सूची भी नहीं जारी की हैं। भाजपा राज में किसानों पर जीप चढ़ाकर कुचल देने वाला मंत्री अभी तक नहीं हटाया गया है। भाजपा के अंधेरराज का यही परिचय है।
बेरोजगार नौजवान सरकारी विभागों में खाली पदों पर भर्ती की मांग को लेकर लगातार आंदोलित है। वे ताली-थाली बजाकर भाजपा के विदाई गीत गा रहे हैं। समाजवादी सरकार में ही पुलिस पीएसी में भर्तियां हुई थी। शिक्षकों को सम्मान मिला। भाजपा राज में उन्हें लाठियां मिल रही हैं। भाजपा- समाजवादी पार्टी में यही फर्क दिखाई देता है।
जिस डायल 100 को समाजवादी सरकार ने जनता की सेवा, सुरक्षा और बेहतर कानून व्यवस्था के लिए बनाया था उसका नाम भाजपा सरकार ने 112 कर दिया फिर उससे सवारी ढोने का काम लिया जाने लगा है। भाजपा नाम और रंग बदलने की माहिर हैं। समाजवादियों का काम बोलता है।
भाजपा का सबसे प्रिय काम नफरत फैलाना है, समाज को बांटना है। समाजवादी सरकार ने अपने कार्यकाल में सद्भाव कायम रखा। समाज के सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा, कोई भेदभाव-पक्षपात नहीं किया। भाजपा ने किसानों, नौजवानों, व्यापारियों सभी को धोखा दिया। अपना एक भी वादा पूरा नहीं किया। भाजपा शासन के 2017 से कार्यकाल में विकास अवरूद्ध रहा है। भाजपा और समाजवादी पार्टी की सरकारों में यही फर्क साफतौर पर है।