… टोपी पहनाने में सांसद जी का जवाब नहीं
शनिवार को जिले में जन विश्वास यात्रा का आगमन हुआ था। यात्रा के आगमन पर स्वाभाविक है कि क्षेत्र के सांसद जी को मौजूद रहना था। सांसद जी ठहरे सेवा निवृत्त ब्यूरोक्रेट वह भी पुलिस वाले तो उन्होंने दांव पेंच भी खूब दिखाये। जो भी टिकट दावेदार स्वागत करता उसी को वे रथ पर बुलाते और पगड़ी वाली टोपी पहना देते। दावेदार खुश कि सांसद जी का आशीर्वाद मिल गया है। यह स्थिति देखकर एक मनचले एक कार्यकर्ता ने दरबारी लाल के कान में फूंक मारी भाईजी सांसद जी तो टोपी पहनाने में महारथी हो गये हैं। वे सभी को टोपी पहना रहे हैं और दावेदारों को खुश कर रहे हैं। लेकिन किसके साथ है यह पता नहीं।
हाजिरी लगानी जरूरी है, पता नहीं कब…
शनिवार को देश की सबसे बड़ी पार्टी का गाजियाबाद में मेगा शो था। हर कोई प्रदेश के मुखिया को अपना चेहरा दिखाने के लिए उतावला दिखा। इसके लिए कालका गढ़ी से लेकर एमएमजी अस्पताल तक टिकट के दावेदारों के अलावा व्यापारियों ने अपने मंच सजाए हुए थे। लेकिन इनमें कुछ ऐसा चेहरे भी थे, जिन्हें न तो टिकट से मतलब था और न राजनीति से। लेकिन सभी जगह लाइम लाइट में बने हुए थे। ऐसे ही एक जाने पहचाने चेहरे ने दरबारी लाल को बताया कि भाई जी, हाजिरी तो सब जगह लगानी ही पड़ती है, पता नहीं किससे कब-क्या काम पड़ जाए, इसलिए किसी को नाराज नहीं किया जा सकता।
…जब 20 बुलाए 75 आए
किसी कार्यक्रम का आयोजन करना और उससे पहले प्रचार प्रसार के लिए प्रेस वार्ता करना सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक संस्थाओं के लिए नियमित प्रक्रिया है जो समय समय पर आयोजन से पहले संस्थाएं प्रेस वार्ता करती हैं। कहीं तो चंद लोग ही पहुंच पाते हैं और कहीं संख्या इतनी अधिक हो जाती है कि आयोजकों के लिए मुसीबत का सबब बन जाती है, ऐसा ही पिछले दिनों देखने में आया जहां एक धार्मिक आयोजन के लिए प्रेस वार्ता आयोजित की गई। वहां पर 20 से 25 मीडिया कर्मियों के लिए व्यवस्था की गई थी, किंतु देखते ही देखते एक के बाद एक मीडियाकर्मी पहुंचते रहे और संख्या 75 तक पहुंच गई। परेशानी यह रही कि उपहार में दी जाने वाली सामग्री दो बार मंगवाई गई वह भी कम पड़ गई। यही नहीं खाने और उपहार का बजट इतना पहुंच गया कि आगे से प्रेस वार्ता करने से पहले संस्था को कई बार सोचना होगा। इस घटना को देख कर तो अटल जी की यह लाइन है याद आती है 3 बुलाए 13 आए दे दाल में पानी! किंतु वहां पर 20 बुलाए 75 आए और नहीं दे सके दाल में पानी।